भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य में 40 साल पुराना इतिहास फिर दोहराया जाएगा. मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने राज्य में दो चरणों में मतदान का ऐलान किया. बिहार में मतदान के लिए पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण की वोटिंग 11 नवंबर को होगी. वहीं 14 नवंबर को परिणाम आएंगे. 

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40 साल बाद ऐसा होगा जब राज्य में दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं. इससे पहले सन् 1985 में 2 फेज में मतदान हुए थे. सन् 85 के चुनाव में झारखंड और बिहार का बंटवारा नहीं हुआ था और तब 324 विधानसभा सीटें थीं. साल 2000 में बंटवारे के बाद सीटों की संख्या कम होकर 243 रह गईं. बिहार और झारखंड के बंटवारे के बाद पहली बार 2 चरणों में चुनाव हो रहे हैं. इसके बाद बिरार में हर चुनाव 2 से ज्यादा फेज में हुए हैं. 2005 में फरवरी में तीन और अक्टूबर में चार फेज में इलेक्शन हुए थे. वहीं 2010 में 6, 2015 में 5, 2020 में 3 चरण में चुनाव हुए थे. इन चुनावों में क्रमशः 68, 67, 61, 60, 47 दिन लगे थे. वर्ष 2025 के चुनाव में कुल 40 दिन लगेंगे.

बता दें सन् 1980 और 1990 का एक चुनाव ऐसा भी था जब इलेक्शन सिर्फ 1 फेज में हो गए थे.

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ये मुद्दे बिहार चुनाव के आसमान में...

उधर, बिहार विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा के साथ ही राज्य का चुनावी माहौल गर्माने लगा है. बढ़ती बेरोजगारी, विशेष राज्य के दर्जे की मांग, जातीय आरक्षण और मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) जैसे मुद्दे इस बार चुनाव प्रचार के दौरान छाए रह सकते हैं. सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और विपक्षी ‘INDIA’ गठबंधन अगले महीने होने वाले इस चुनाव में आमने-सामने होंगे.

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निर्वाचन आयोग ने सोमवार को राज्य में दो चरणों में मतदान की घोषणा की. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार NDA का नेतृत्व कर रहे हैं और उन्हें अब भी राज्य की राजनीति में एक दमदार चेहरा माना जाता है. गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अलावा जीतन राम मांझी, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा जैसे सहयोगी दल शामिल हैं.

वहीं, विपक्षी महागठबंधन का नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल (RJD)- कांग्रेस कर रहे हैं, जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा)-माले-लिबरेशन सहित कई अन्य सहयोगी दल शामिल हैं.