बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को बड़ी राहत दी है. गठबंधन को मिली भारी बढ़त ने जहां जश्न का माहौल बनाया है, वहीं अब एक नई राजनीतिक चुनौती भी सामने आ खड़ी हुई है. यह चुनौती किसी और की नहीं, बल्कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से जुड़ी है, जिनके प्रदर्शन ने इस चुनाव में सभी को चौंका दिया है.

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अब बड़ा सवाल यह है कि क्या चिराग पासवान को बिहार सरकार में जगह दी जाएगी. क्या NDA नई शक्ति-संतुलन व्यवस्था तैयार करेगा. आने वाले दिनों में इन सवालों के जवाब तय करेंगे कि बिहार की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है.

क्या नीतीश की अगुवाई वाली सरकार में चिराग को मिलेगा मंत्री पद?

चिराग पासवान की पार्टी को NDA में 29 सीटें आवंटित हुई थीं, हालांकि एक सीट पर उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो जाने के बाद मुकाबला 28 सीटों पर रह गया. इन 28 सीटों में से 21 सीटों पर चिराग पासवान को लगातार बढ़त मिल रही है, जो यह संकेत दे रहा है कि बिहार में उनकी राजनीतिक स्वीकार्यता तेजी से बढ़ी है. यह प्रदर्शन उन्हें NDA के भीतर एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित करता है.

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राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज है कि क्या चिराग पासवान बिहार की राजनीति में अगला कदम उठाएंगे? क्या उन्हें नीतीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री पद मिल सकता है? इस मुद्दे पर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हैं.

नीतीश और चिराग के बीच अच्छे नहीं है रिश्ते

जानकारी के अनुसार, भले ही जनता के सामने मंचों पर और सोशल मीडिया पर नीतीश कुमार और चिराग पासवान की तस्वीरें अक्सर सहयोग और सौहार्द्र की झलक दिखाती हैं, लेकिन जमीन पर स्थिति इससे अलग मानी जाती है. दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं और उनके रिश्ते उतने सहज नहीं हैं, जितने दिखाई देते हैं.

चिराग और नीतीश के बीच पुरानी है टकराव की पृष्ठभूमि

नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच टकराव की पृष्ठभूमि पुरानी है. चिराग ने पहले भी कई मौकों पर नीतीश सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं, जबकि नीतीश कुमार भी चिराग की महत्वाकांक्षाओं को लेकर सतर्क रहते हैं. यही कारण है कि NDA की जीत के बाद भी दोनों के बीच तालमेल बड़ा मुद्दा बन सकता है.

लेकिन चुनाव में LJP(R) के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए चिराग पासवान की अनदेखी करना NDA और खासकर जेडीयू के लिए आसान नहीं होगा. नीतीश कुमार को अब सत्ता संतुलन और राजनीतिक संदेश दोनों को ध्यान में रखकर बड़ा फैसला लेना होगा.

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