पटना: आजादी के बाद चुनावी राजनीति में बिहार ने अपने 68 साल गुजार दिए, इन 68 सालों में 38 साल तक राज्य की बागडोर 4 मुख्यमंत्रियों के पास रही, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के नाम शामिल हैं.



1990 से 2020 तक का सियासी सफर



1990 से लेकर 2019 तक लगभग 30 वर्षों तक बिहार की सत्ता या तो लालू परिवार या फिर नीतीश कुमार के पास रही. 1990 से 1997 तक 2 बार लालू प्रसाद यादव और 1997 से 2005 तक तीन बार राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री का पद संभाला, हालांकि इस बीच एक बार 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक 7 दिनों के लिए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री का पद संभाला था. अगस्त 1999 में किशनगंज रेल हादसे के बाद नीतीश कुमार ने रेल मंत्री के पद से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था हालांकि इसके साल भर बाद 2000 में समता पार्टी और भाजपा के गठबंधन को बहुमत न होने के बावजूद तत्कालीन राज्यपाल भंडारी ने नीतीश कुमार को सीएम पद की शपथ दिला दी थी. 7 दिन बाद बहुमत नहीं होने के कारण नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया और फिर राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री की शपथ ली. उसके बाद फरवरी 2005 के चुनाव में फिर से किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला और बिहार में राष्ट्रपति शासन लग गया. उसके बाद फिर 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 के बीच नीतीश की जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन को पहली बार जनादेश मिला और इस सरकार ने 5 साल पूरे किए.



तीस सालों में लालू ने दो, राबड़ी ने तीन और नीतीश कुमार ने 6 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली



26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014 तक बीजेपी जेडीयू गठबंधन की फिर से जीत हुई और दोनों दलों ने सत्ता में वापसी की. मई 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के ठीक 1 दिन बाद नीतीश कुमार ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. तब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद के लिए जीतन राम मांझी को चुना लेकिन दोनों में सियासी फासला इतना बढ़ गया कि नीतीश कुमार, जीतन राम मांझी को हटाकर फिर से सत्ता में वापस आ गए. 30 नवंबर 2015 से 26 जुलाई 2017 के बीच बीजेपी के खिलाफ वोटों के बिखराव को रोकने के लिए नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडी के साथ महागठबंधन की सरकार बना ली. जिसके नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे. फिर उन्होंने 21 महीने तक महागठबंधन के साथ सरकार चलने के बाद यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि जब माहौल में काम करना मुश्किल है तो फिर ऐसे में सरकार चलानी मुश्किल हो रही है. इसके बाद 27 जुलाई को बीजेपी के समर्थन से फिर से सरकार बना ली.
इस तरह 1990 से लेकर 2019 तक बिहार ने 4 मुख्यमंत्रियों को देखा है इनमें दो बार लालू और तीन बार राबड़ी ने शपथ ली तो वही 6 बार नीतीश ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.