यह साफ हो चुका है कि बिहार में एक बार फिर एनडीए सरकार बनाने जा रही है और नीतीश कुमार बतौर मुख्यमंत्री वापसी के करीब हैं. 14 नवंबर 2025 को जारी रुझानों ने यह संकेत दे दिया है कि NDA ने बहुमत का आंकड़ा आराम से पार कर लिया है और सरकार गठन का रास्ता बिल्कुल स्पष्ट हो गया है.
जेडीयू और बीजेपी दोनों ही साफ कर चुकी हैं कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे और अब आधिकारिक ऐलान का इंतजार है. इस चुनावी नतीजे ने साबित कर दिया है कि पोस्टरों में लिखा गया डायलॉग “टाइगर अभी जिंदा है” सिर्फ नारा नहीं, बल्कि चुनावी मैदान में नीतीश की ताकत भी है.
नीतीश कुमार पर लगे कई आरोप
नीतीश कुमार का राजनीति में दबदबा एक बार फिर मजबूती से देखने को मिला है. विपक्ष यह दावा करता रहा कि नीतीश कुमार की तबीयत और उम्र अब उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य नहीं बनाती, लेकिन NDA ने पूरे चुनाव में उन्हें सबसे मजबूत चेहरा बनाकर पेश किया. चुनाव अभियान के दौरान लगे फिल्मी अंदाज वाले पोस्टर, जिनमें नीतीश को 'टाइगर' कहा गया, ने प्रभाव पैदा किया और नतीजों ने भी इस छवि को पुष्ट कर दिया है. बिहार की राजनीति में बार-बार पाला बदलने और हर बार सत्ता के सूत्र हाथ में रखने की उनकी क्षमता ने उनके अनुभवी नेतृत्व को फिर प्रमाणित किया है.
खास रहा इस बार का बिहार चुनाव?
क्यों रहा इस बार चुनाव बेहद खास, यह समझना जरूरी है. बिहार की 24.3 करोड़ आबादी ने दो चरणों में 67.13% के रिकॉर्ड मतदान के साथ लोकतंत्र का उत्सव मनाया और आज जब वोटों की गिनती हो रही है, तो NDA की सुनामी हर राजनीतिक गणित को मात देती दिख रही है. शुरुआती नतीजों के अनुसार JD(U) 81 सीटों पर, BJP 91 सीटों पर, चिराग पासवान की LJP(RV) 21 पर और जीतन राम मांझी की HAM 4 सीटों पर आगे है. कुल मिलाकर NDA 190 से भी ज्यादा सीटों पर बढ़त में है जबकि बहुमत के लिए केवल 122 सीटें चाहिए थीं. ऐसे में यह निर्विवाद है कि नीतीश कुमार पांचवें कार्यकाल की ओर बढ़ रहे हैं और सरकार गठन की प्रक्रिया चंद घंटों में शुरू हो सकती है.
उधर महागठबंधन के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक साबित हो रहा है. तेजस्वी यादव की RJD, जो सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने की उम्मीद में थी, मात्र 26 सीटों पर सिमटती दिख रही है जबकि कांग्रेस भी छह सीटों के इर्द-गिर्द ही ठहर गई है. कुल मिलाकर महागठबंधन 48 से 55 सीटों के बीच ही अटकता नजर आ रहा है और शुरुआती ट्रेंड्स में मिली मामूली बढ़त भी NDA की लहर में पूरी तरह बह गई.