बिहार के डीजीपी का पद छोड़कर राजनीति में कदम रख चुके गुप्तेश्वर पांडेय को आखिरकार विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला और इस खबर ने हलचल मचा दी. हालांकि सभी जानना चाहते हैं कि आखिर जोरशोर में राजनीति में उतरने वाले गुप्तेश्वर पांडेय की टिकट पाने की लालसा क्यों पूरी नहीं हुई तो यहां आपको उसका जवाब मिल सकता है.


ये हो सकती हैं वजह


सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण को लेकर जिस तरह डीजीपी रहते हुए गुप्तेश्वर पांडेय ने बयान दिए और राजनैतिक टिप्पणी की, उसके बाद यदि भाजपा उन्हें अपना टिकट देती तो उसका नुकसान भविष्य में महाराष्ट्र में देखने को मिल सकता था. दूसरा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस इन दिनों बिहार में चुनाव का काम देख रहे हैं, ऐसे में यदि गुप्तेश्वर का टिकट होता तो महाराष्ट्र में ये संदेश जाता की गुप्तेश्वर के बयानों के पीछे भाजपा और देवेंद्र फड़नवीस हैं. भाजपा इस रिस्क को लेना नहीं चाहती, क्योंकि महाराष्ट्र में भी अंदरखाने पार्टी अपने लिए संभावनाएं तलाश रही है.


फिलहाल टिकट पाने की लालसा पूरी नहीं होगी


कहा ये भी जा रहा है कि भाजपा के दबाव में ही जेडीयू ने भी गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट नहीं दिया. इसी चलते बदनामी से बचने के लिए ही जेडीयू ने बक्सर की सीट भाजपा के कोटे में दे दी. जब गुप्तेश्वर को भाजपा की ना हो गई तो उन्होंने जेडीयू से किसी अन्य सीट के लिए हाथ पैर मारना शुरू किया. लेकिन फिलहाल भाजपा और जेडीयू में उनके लिए पूरी तरह से दरवाजे बंद कर दिए गए हैं.


टिकट नहीं मिलने पर गुप्तेश्वर पांडेय ने लिखा पोस्ट


जेडीयू नेता गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा. गुप्तेश्वर पांडेय ने फेसबुक पोस्ट लिखकर कहा, ''अपने अनेक शुभचिंतकों के फ़ोन से परेशान हूँ. मैं उनकी चिंता और परेशानी भी समझता हूँ. मेरे सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा. हताश निराश होने की कोई बात नहीं है. धीरज रखें.''


उन्होंने कहा, ''मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है. मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा. कृपया धीरज रखें और मुझे फ़ोन नहीं करे. बिहार की जनता को मेरा जीवन समर्पित है. अपनी जन्मभूमि बक्सर की धरती और वहाँ के सभी जाति मज़हब के सभी बड़े-छोटे भाई-बहनों माताओं और नौजवानों को मेरा पैर छू कर प्रणाम! अपना प्यार और आशीर्वाद बनाए रखें !'


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