Education Department Action Against Teacher: बिहार के शिक्षक अपने अनोखे कारनामों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं. कभी स्कूल छोड़कर सब्जी लाने तो कभी एमडीएम में दिए जाने वाली समाग्री की चोरी करते हुए या कभी बच्चों को बेवजह फटकार लगाने को लेकर. अब बिहार के हाजीपुर से एक और मामला सामने आया है, जहां बच्चों को चोरी ना करने की शिक्षा देने वाले गुरुजी खुद चोरी करते पकड़े गए. वो बच्चों के ही खाने के लिए मिले अंडे को स्कूल से चुराते हुए देखे गए.

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हेड मास्टर पर शिक्षा विभाग की कार्रवाई

इस पूरे मामले का वीडियो वायरल होने के बाद अंडा चोर हेड मास्टर पर शिक्षा विभाग के जरिए कार्रवाई की गई है. वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि स्कूल के हेड मास्टर बच्चों के बीच बांटे जाने वाले मध्यान भोजन का अंडा झोली में भरकर अपने घर ले जा रहे हैं. आपको हैरान करने वाली ये घटना हाजीपुर लालगंज प्रखंड के मध्य विद्यालय रिखर की है, जहां खुद इस स्कूल के प्रधानाध्यापक सुरेश सहनी बच्चों के बीच बांटे जाने वाली मध्यान भोजन का अंडा चोरी कर घर ले जाते थे. 

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दरअसल हेड मास्टर की इस करतूत को किसी शिक्षक ने अपने मोबाइल में कैद कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वीडियो 12 दिसंबर का बताया जा रहा है. मामला उजागर होने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कार्रवाई शुरू की और अंडा चोर हेड मास्टर से स्पष्टीकरण मांगा, वहीं अंडा चोरी का वीडियो वायरल होने के बाद स्कूल के कुछ छात्र और ग्रामीणों ने भी स्कूल पहुंचकर हेड मास्टर के सामने शोरगुल मचाया. 

वहीं आरोपी हेड मास्टर सुरेश सहनी का कहना है कि वो अंडा अपने साथ नहीं ले गए, रसोइया को दे दिया था, लेकिन रसोईया ने साफ कहा है कि उसने अंडे ले जाकर ऑफिस में रख दिए थे. दोनों एक दूबसरे पर आरोप लगा रहे हैं. वहीं वैशाली जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रधानाध्यापक और कार्यक्रम अधिकारी को लिखित निर्देश देकर स्पष्टीकरण मांगा है. जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि मामले में संतोषजनक जवाब नहीं आने पर कार्रवाई की जाएगी. 

सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन देती है सरकार

आपको बता दें कि बिहार में सरकार के जरिए सरकारी स्कूलों में मध्यान भोजन में बच्चों को बीच उबला हुआ अंडा खाने में दिया जाता है. ताकि बच्चों को प्रोटीन मिल सके. सरकार ने बच्चों के खाने पीने की कमी को पूरा करने और पढ़ाई के प्रति जागरुकता बढ़ाने के लिए इस योजना को चलाया है, लेकिन कुछ सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल और कर्मचारियों की मिलीभगत से स्कूल के बच्चों के खाने के समान पर ही डाका डाल दिया जाता है.

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