पटनाकांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा चल रही है. इसके समर्थन में बिहार में भी पांच जनवरी से भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत हुई. सबसे पहले बांका के मंदार पर्वत से यात्रा शुरू हुई थी. इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी उपस्थित हुए थे. बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के नेतृत्व में होने वाले पांच चरणों में अब तक तक चार चरणों में बिहार के कई जिलों से होते हुए भारत जोड़ो यात्रा पटना पहुंच चुकी है. इस यात्रा के दौरान कई ऐसे संकेत मिले हैं जिससे ऐसा लग रहा है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान होने वाला है. खुद बाहर कांग्रेस के नेता भी ऐसा मानते हैं. नेताओं ने वजह भी बताई है.

भारत जोड़ो यात्रा पटना में 10 फरवरी को पहुंची. पटना साहिब गुरुद्वारा पहुंचने के बाद यहां प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह के सामने ही दो कार्यकर्ता मारपीट करने लगे. दूसरी घटना 12 फरवरी को दानापुर में हुई. यहां फिर दो कार्यकर्ता जमकर एक-दूसरे से भिड़ गए. अखिलेश सिंह को बीच-बचाव करना पड़ा. अब सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस में हंगामा क्यों बरपा है? इसकी वजह चौंकाने वाली आ रही है.

पटना साहिब के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष रहे कांग्रेस नेता सुजीत कसेरा ने बताया कि काफी दिनों से बिहार में कांग्रेस शिथिल थी. काफी सालों बाद अब बिहार में कांग्रेस अपने जलवे में दिख रही है तो कार्यकर्ता अपने बड़े नेता से नजदीकी बढ़ाने में लगे हैं. यही कारण है कि मारपीट भी हो जाती है. साफ कहा कि पटना साहिब और दानापुर की घटनाओं में इसके पीछे यही वजह है. यह भी कहा कि जब स्थानीय स्तर पर बड़े नेता का कार्यक्रम होता है तो वहां स्थानीय नेता दिखावे में रहते हैं. सबको बड़े नेता से मिलने और अपना चेहरा दिखाना होता है.

ना कभी बैठक, ना कार्रवाई

एक पुराने कांग्रेसी नेता ने बताया कि बिहार कांग्रेस में अभी अनुशासनहीनता की कमी है. लगातार इस तरह की घटना की वजह अनुशासन समिति का शिथिल पड़ जाना है. अनुशासनहीनता पर कार्रवाई का नहीं होना है. ना अनुशासन समिति की कभी बैठक हुई और ना ही इस समिति की ओर से कभी किसी पर कोई कार्रवाई हुई. सच्चाई यह है कि किसी को कांग्रेस में रुचि नहीं है. सिर्फ पद चाहिए. सरकार में शामिल हैं तो सबको लालच है. संगठन के प्रति किसी का कोई ध्यान नहीं है. पार्टी में अनुशासन होनी चाहिए. संगठन मजबूत होना चाहिए. इस पर ध्यान किसी को नही है.

बिहार कांग्रेस में बड़े पद पर पुराने नेता

कांग्रेस नेता ने अंदर की बात का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार प्रदेश पर 25 साल और 30 साल पुराने नेता का अभी तक कब्जा है. नए लोगों को उभरने नहीं दिया जाता है. बिहार कांग्रेस में बड़े पद पर पुराने लोग ही हैं जो कभी सत्ता का स्वाद चखे थे. सभी स्वार्थी बूढ़े हैं. अब सत्ता का स्वाद लगा है तो उसी में मस्त हैं. नए नेता कैसे उभरेंगे,  नए लोग कैसे आएंगे इन सब बातों से बिहार कांग्रेस में बड़े पद पर बैठे लोगों को कोई चिंता नहीं है.

कांग्रेस नेता असित नाथ तिवारी ने बताया कि जिस तरह की घटना हो रही है अगर उसे केंद्रीय नेतृत्व संज्ञान में लेती है और इस पर सुधार लाने की कोशिश करती है तो बिल्कुल सुधार होगा. अभी भी बिहार कांग्रेस में बड़े पद पर हताश और निराश लोग बैठे हुए हैं. इसमें केंद्रीय नेतृत्व को दखल देने की जरूरत है.

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