बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने गुरुवार (20 नवंबर) को राज्य के लोगों को “ऐतिहासिक जनादेश” के लिए धन्यवाद दिया और खास तौर पर महिला मतदाताओं को उनकी “विशेष भागीदारी” का श्रेय दिया, लेकिन अपने राजनीतिक पदार्पण से जुड़े सवालों को टाल गए.
उनके पिता ने गुरुवार (20 नवंबर) को रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. गांधी मैदान में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में ‘पीटीआई वीडियो’ सहित पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में निशांत ने कहा, “बिहार की जनता को नमन और शुभकामनाएं. मैं दिल से धन्यवाद देता हूं और बधाई देता हूं. लोगों ने जिस तरह काम किया, महिलाओं ने जिस तरह मतदान किया, उनकी विशेष भागीदारी बिहार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.”
राजनीति में आने के सवाल पर क्या बोले निशांत?
इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि वह राजनीति में कब आएंगे, तो निशांत मुस्कुराए और वहां से चले गए. निशांत ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा है और कई राजनीतिक परिवारों के उत्तराधिकारियों के विपरीत वह अब तक सार्वजनिक जीवन से दूर रहे हैं. इस चुनाव में निशांत के सियासी डेब्यू की भी खूब चर्चा हुई थी.
उनके पिता और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) प्रमुख नीतीश कुमार ने 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. नीतीश ने करीब दो दशक तक बिहार की बागडोर संभाली और खास महिला वोट बैंक तैयार किया है.
बीजेपी ने की चुनाव में दमदार वापसी
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जदयू, लोजपा (रामविलास) और दो अन्य दलों के गठबंधन वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 243 सदस्यीय विधानसभा में 202 सीटें जीतकर दोबारा सत्ता में वापसी की.
भाजपा 89 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इसके बाद जदयू को 85, जबकि लोजपा (रामविलास) को 19, हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा को पांच और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) को चार सीटें मिलीं.
महिलाओं ने जमकर किया मतदान
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया. महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71 से अधिक रहा, जबकि पुरुषों में यह 62.9 प्रतिशत था. सात जिलों में महिलाओं ने 14 प्रतिशत अंक ज्यादा मतदान किया और 10 अन्य जिलों में यह अंतर 10 अंकों से अधिक रहा. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) नेताओं ने इसे गठबंधन की निर्णायक बढ़त का कारण बताया.
वरिष्ठ एनडीए पदाधिकारियों ने “महिला जनादेश” का श्रेय नीतीश के कल्याणकारी शासन को दिया. इसमें 2016 की शराबबंदी नीति (जिसे शराब-जनित घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाओं का व्यापक समर्थन मिला) से लेकर चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर दी गई आर्थिक सहायता योजनाएं शामिल रहीं.
पिछली एनडीए सरकार ने 1.21 करोड़ से अधिक ‘जीविका दीदियों’ में प्रत्येक को 10,000 रुपए दिए थे ताकि वे सूक्ष्म व्यवसाय शुरू कर सकें और उनके उद्यमों के लिए दो लाख रुपए तक की अतिरिक्त सहायता का वादा किया था.
'जीविका दीदी' परियोजना से हुआ फायदा
सरकार एक स्वायत्त निकाय बिहार ग्रामीण आजीविका प्रोत्साहन सोसायटी (बीआरएलपीएस) के माध्यम से विश्व बैंक सहायता प्राप्त परियोजना ‘जीविका’ संचालित कर रही थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबों का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण है. इस परियोजना से जुड़ी महिलाओं को ‘जीविका दीदी’ कहा जाता है.
जातीय विभाजनों से अक्सर जूझने वाले इस राज्य में जदयू नेताओं ने कहा कि महिलाएं एक ऐसी मतदाता श्रेणी बनकर उभरीं जिसने कई बाधाओं को पार कर दिया. वे ऐसा जनसांख्यिकीय समूह बनीं, जिसने चुनावी परिणाम को नया आकार दिया और नीतीश कुमार की सत्ता में वापसी की बुनियाद मजबूत की.