Bihar Cabinet Expansion: बिहार में बुधवार को नीतीश सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. बीजेपी की ओर से सात विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. शपथ लेने वालों में दरभंगा के वैश्य समाज से आने वाले विधायक संजय सरावगी, बिहार शरीफ के विधायक डॉ. सुनील कुमार, दरभंगा के जाले विधानसभा क्षेत्र से आने वाले जीवेश कुमार, मुजफ्फरपुर के साहेबगंज विधानसभा से राजू कुमार सिंह, सीतामढ़ी जिले के रीगा विधायक मोती लाल प्रसाद, अररिया जिले के सिकटी विधानसभा क्षेत्र के विजय कुमार मंडल और सारण के अमनौर विधानसभा क्षेत्र के विधायक कृष्ण कुमार मंटू शामिल हैं. इन सात विधायकों में से पांच एमएलए ऐसे हैं जो पहली बार नीतीश कैबिनेट में मंत्री बने हैं.

सात में से दो चेहरे ऐसे हैं जो पहले भी मंत्री रह चुके हैं. एक जीवेश कुमार हैं जो नीतीश सरकार में दूसरी बार मंत्री बने हैं. वे पहली बार 2020 में नीतीश सरकार में मंत्री बने थे. उस वक्त उन्हें श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया था. अगस्त 2022 में नीतीश कुमार महागठबंधन में चले लेकिन एनडीए में फिर लौटे तो इन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था. अब मंत्रिमंडल विस्तार में फिर उन्हें मौका मिला है.  

वहीं सिकटी विधानसभा क्षेत्र के विधायक विजय कुमार मंडल नीतीश सरकार में तो कभी मंत्री नहीं रहे, लेकिन 2020 में निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद लालू प्रसाद यादव ने उन्हें अपने साथ शामिल करके मंत्री बनाया था. 2005 में एनडीए की नीतीश सरकार बन गई थी. अब नीतिश सरकार में वे मंत्री बने हैं.

इन पांच विधायकों को पहली बार मिला मंत्री पद 

पांच चेहरे ऐसे हैं जिन्हें पहली बार मंत्री पद की कुर्सी मिली है. संजय सरावगी 1995 से बीजेपी के साथ रहे. पार्टी ने पहला मौका उन्हें दरभंगा नगर विधानसभा से 2005 में दिया और उस वक्त से लगातार पांच बार विधायक बने हुए हैं. अब पार्टी ने मंत्री पद देकर तोहफा दिया है.

दूसरा नाम राजू कुमार सिंह का है जो मुजफ्फरपुर के साहेबगंज से 2005 लोजपा, 2010 में जेडीयू और 2015 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने. 2020 में मुकेश सहनी की पार्टी से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए. अब पहली बार मंत्री बने हैं.

तीसरा नाम मोती लाल प्रसाद का है. ये सीतामढ़ी के रीगा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. ये 2010 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन 2015 में कांग्रेस से हार मिली थी. 2020 में वह फिर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने. मोती लाल प्रसाद वैश्य समाज से आते हैं. 1982 से पार्टी से जुड़े हैं. अब पार्टी ने उन्हें पहली बार मंत्री पद का तोहफा दिया है.

चौथा नाम कृष्ण कुमार मंटू का है जो अमनौर से विधायक हैं. उन्हें भी पहली बार मंत्री बनने का मौका मिला है. कृष्ण कुमार मंटू 2010 में जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की थी लेकिन महागठबंधन में जेडीयू के रहने के कारण 2015 में बीजेपी ने उन्हें हरा दिया था. इसके बाद 2020 के चुनाव में अमनौर विधानसभा सीट बीजेपी के खाते में चली गई थी तो वह बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़े एवं जीत गए. कृष्ण कुमार मंटू कुर्मी जाति से आते हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने पटना के मिलर हाई स्कूल के मैदान में कुर्मी एकता रैली की थी. पार्टी ने जातीय समीकरण के आधार पर अब उन्हें मंत्री बनने का मौका दिया है.

डॉ. सुनील कुमार भी पहली बार बने मंत्री

एक नाम डॉ. सुनील कुमार का है जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा के बिहार शरीफ विधानसभा सीट से विधायक हैं. वह कुशवाहा जाति से आते हैं. डॉक्टर सुनील कुमार 2005 और 2010 में जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते थे, लेकिन 2013 में जब पार्टी ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था तो वह अपनी पार्टी से हटकर बीजेपी में शामिल हुए थे. 2015 से वह लगातार बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतते आ रहे हैं. अब पार्टी ने उन्हें पहली बार मंत्री पद की कुर्सी दे दी है.

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