बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे पिछले चुनाव के नतीजे फिर से चर्चा में हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में ऐसी 52 सीटें थीं, जिन पर हार-जीत का अंतर बेहद मामूली रहा था- यानी 5000 वोटों से भी कम. इस बार भी इन सीटों को राज्य की सत्ता की चाबी माना जा रहा है.
2020 के नतीजों पर नजर डालें तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने कुल 125 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं. 243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 122 का होता है, यानी एनडीए को बेहद कम अंतर से सरकार बनाने का मौका मिला था.
2020 में NDA ने इन 24 सीटों पर दर्ज की थी जीत
जानकारी के अनुसार, इन 52 करीबी मुकाबले वाली सीटों ने उस चुनाव की दिशा तय कर दी थी. आंकड़ों के अनुसार, इन सीटों में से महागठबंधन ने 26 सीटें जीती थीं, जबकि एनडीए ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी. दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के खाते में गई थीं.
अगर महागठबंधन की बात करें तो राजद (RJD) ने इनमें से 15 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल की. वामदलों में सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई (एमएल) लिबरेशन को एक-एक सीट मिली थी. वहीं, एनडीए की ओर से जेडीयू ने 13 सीटें और भाजपा ने 9 सीटें जीती थीं. इसके अलावा, उस समय एनडीए का हिस्सा रही विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को एक-एक सीट पर जीत मिली थी.
इन सीटों पर दर्जनों वोटों में सिमट गया था जीत का अंतर
दिलचस्प बात यह है कि कई सीटों पर जीत का अंतर सैकड़ों में नहीं बल्कि दर्जनों वोटों में सिमट गया था. उदाहरण के तौर पर, नालंदा जिले की हिलसा सीट पर जेडीयू उम्मीदवार को मात्र 12 वोटों से जीत मिली थी. शेखपुरा की बरबीघा सीट पर 133 वोटों का अंतर रहा, जबकि रामगढ़ में आरजेडी ने 189 वोटों से जीत दर्ज की थी.
इसी तरह भोरे (आरक्षित) सीट पर जेडीयू को 462 वोटों से, डेहरी में आरजेडी को 464 वोटों से, बछवाड़ा में भाजपा को 484 वोटों से और चकाई सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार को 581 वोटों से जीत हासिल हुई थी.
इन 52 सीटों पर होगी कांटे की टक्कर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन 52 सीटों पर इस बार भी सियासी लड़ाई कांटे की होगी. जो भी गठबंधन इन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करेगा, सत्ता की चाबी उसी के हाथ में जाने की संभावना है.