पटना में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इस बार चर्चा का केंद्र चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर बने हैं. शहर के विभिन्न हिस्सों में उनके खिलाफ पोस्टर लगाए जा रहे है. ये पोस्टर खासकर बीजेपी कार्यालय के सामने और इनकम टैक्स चौराहे पर लगाए गए हैं. खबर लिखें जाने तक इस मामले पर प्रशांत किशोर उनके सोशल मीडिया 'एक्स' पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
पोस्टर में दावा किया गया है कि प्रशांत किशोर ने सरकार बनने पर शराबबंदी हटाने और उससे जुड़े राजस्व का जुगाड़ करने के लिए शराब माफियाओं से 20000 करोड़ रुपये लिए हैं. पोस्टर में प्रशांत किशोर और वितरक जन शराबियों की फोटो के साथ बैग में शराब की बोतल डालकर इसे दृश्य रूप में भी पेश किया गया है.
'जनतंत्र मोर्चा' ने लगाया प्रशांत किशोर का पोस्टर
पोस्टर लगाने वाले संगठन का नाम 'जनतंत्र मोर्चा' है और इसके पीछे संजय सिसोदिया का हाथ बताया जा रहा है. इस पोस्टर के माध्यम से साफ संदेश देने की कोशिश की गई है कि शराब माफियाओं और राजस्व के मामले में प्रशांत किशोर सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि यह पहली बार है जब पटना की सड़कों पर प्रशांत किशोर के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं. इससे पहले उनकी चर्चा केवल सोशल मीडिया और चुनावी रणनीति के तौर पर होती थी. लेकिन अब यह मामला आम जनता के सामने सड़कों पर भी आ गया है, जिससे राजनीतिक माहौल और गरमाने की संभावना बढ़ गई है.
प्रशांत किशोर की छवि खराब कर रहा विपक्ष- जन स्वराज
पटना में यह पोस्टर विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर है. राजनीतिक पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर लगातार चल रहा है. जन सुराज पार्टी के समर्थकों का कहना है कि पोस्टर विवाद का उद्देश्य प्रशांत किशोर की छवि को निशाना बनाना और विपक्षी वोटरों में भ्रम पैदा करना हो सकता है.
प्रशांत किशोर के पोस्टर की तस्वीरें वायरल
हालांकि, प्रशांत किशोर ने अभी तक इस पोस्टर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. वहीं, जनता और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच इस मामले पर गहन चर्चा शुरू हो गई है. सोशल मीडिया पर भी प्रशांत किशोर के खिलाफ पोस्टर की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं, जिससे इस विवाद ने व्यापक रूप ले लिया है.
इस पोस्टर विवाद ने बिहार की सियासी गर्मी को और बढ़ा दिया है. आने वाले दिनों में राजनीतिक पार्टियों की ओर से इस मामले पर बयानबाजी और विरोध-प्रदर्शन की संभावना भी बनी हुई है. इस तरह, प्रशांत किशोर पर पोस्टर विवाद ने चुनावी राजनीति में नया मोड़ जोड़ दिया है.