बिहार चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान जल्द ही होने वाला है. सभी दल चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए हैं. बीजेपी-जेडीयू गठबंधन वाली एनडीए और आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन वाली महागठबंधन के घटक दल और नई बनी पार्टी जन सुराज एड़ी चोटी के जोर लगा रही है. हालिया कई सर्वों के मुताबिक बिहार में कांटे की टक्कर है. इन सब के बीच एक्सिस माई इंडिया के सीएमडी प्रदीप गुप्ता ने बड़ा बयान दिया है. 

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'बीजेपी के लिए चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं'

उन्होंने एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि, "भाजपा-एनडीए समर्थक चाहते हैं कि वे कम से कम एक बार सत्ता में आएं. हर कोई जानता है कि हर जगह (भाजपा के लिए) चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. भाजपा ने छत्तीसगढ़ में बिना मुख्यमंत्री पद के चेहरे के भी जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस की वहां पहले से ही मजबूत उपस्थिति थी. बिहार में, कई कारक हैं, खासकर जातियां और पार्टियां."

इससे पहले बिहार चुनाव को लेकर प्रदीप गुप्ता ने कहा था कि, "चुनाव नतीजों की भविष्यवाणी करने का सीधा मतलब है कि कौन सरकार बनाएगा. अभी तो बिहार के मतदाता भी नहीं जानते कि किसे वोट देना है. हमने 2024 में एनडीए की जीत की भविष्यवाणी की थी."

जाति और महिला फैक्टर के बारे में उन्होंने कहा, "यहां जाति का बहुत महत्व है. बिहार के सभी छह क्षेत्रों में मुस्लिम-यादव आबादी लगभग 27 प्रतिशत है. यह वोट बैंक आरजेडी के पक्ष में एकजुट हुआ है." वहीं प्रशांत किशोर को लेकर उन्होंने कहा, "वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. प्रशांत किशोर इस बार कुछ सीटें जीत सकते हैं, लेकिन सत्ता में आना बहुत दूर की बात है. उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है. वे दो साल से रैलियां कर रहे हैं, लेकिन वोट हासिल करना अलग बात है. इतने बड़े सार्वजनिक दायरे में विश्वास दिलाना आसान नहीं है. जब युवा और महिला फैक्टर की बात आती है, तो वह भी एक जाति का हिस्सा हैं."

प्रदीप गुप्ता ने कहा, "बिहार एक ऐसा राज्य है जहां मतदान हो जाने के बाद भी विश्लेषण करना मुश्किल है. विश्लेषण का पहला पैमाना सत्ता विरोधी लहर की सीमा है. बिहार में, यह बहुत अलग है, लेकिन एकमात्र सामान्य कारक नीतीश कुमार हैं, जो 20 वर्षों से वहां हैं. सवाल यह है- विकल्प क्या है? पिछले 20-30 वर्षों में, बिहार जाति जनगणना कराने वाला एकमात्र राज्य रहा है.

उन्होंने कहा, "मुस्लिम-यादव समीकरण लगभग 32% है. इसी के चलते लंबे समय तक विपक्ष में रहने के बावजूद राजद ने अपना वर्चस्व नहीं खोया है. पिछली बार राजद जीतती दिख रही थी, लेकिन अगर एलजेपी ने NDA के साथ चुनाव लड़ा होता, जैसा कि अभी है, तो NDA को 138 सीटें मिलतीं."

जल्द बिहार पहुंचेंगे मुख्य चुनाव आयुक्त

बहरहाल इन तमाम सर्वे और विशलेषण के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी 4-5 अक्टूबर को बिहार का दौरा करेंगे. इस दौरान आयोग की टीम राज्य में प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करेगी. आयोग की टीम पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करेगी. पर्व त्योहारों को देखते हुए चुनावों की तारीख छठ बाद ही रखे जाने की उम्मीद है. 

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