13 दिसंबर का दिन कोलकाता के सॉल्ट लेक स्टेडियम के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा था. फुटबॉल जगत के सबसे बड़े सितारे लियोनेल मेसी भारत के दौरे पर पहुंचे थे. हजारों फैंस ने महंगे टिकट खरीदे, सिर्फ अपने पसंदीदा खिलाड़ी की एक झलक पाने के लिए. हालांकि यह खुशी ज्यादा देर टिक नहीं सकी और पूरा आयोजन अव्यवस्था और निराशा में बदल गया. मेसी स्टेडियम में सिर्फ 20 से 25 मिनट ही रुक सके और फिर उन्हें सुरक्षा कारणों से बाहर ले जाया गया.
स्टेडियम में क्यों बिगड़े हालात?
स्टेडियम में मेसी की एंट्री के शुरुआती पल बेहद उत्साहपूर्ण थे. जैसे ही अर्जेंटीना के वर्ल्ड कप विजेता कप्तान मैदान में आए, दर्शकों ने तालियों और नारों से उनका स्वागत किया. बताया जा रहा है कि मेसी शुरुआत में काफी सहज और खुश नजर आ रहे थे. वह खिलाड़ियों से हाथ मिला रहे थे, मुस्कुरा रहे थे और ऑटोग्राफ भी दे रहे थे.
हालांकि, हालात उस वक्त बिगड़ने लगे जब अचानक बड़ी संख्या में लोग मैदान के भीतर घुस आए. इसमें राजनेता, वीआईपी मेहमान, सुरक्षाकर्मी और आयोजकों से जुड़े लोग शामिल थे. तस्वीरें और वीडियो लेने की होड़ में मैदान पर भीड़ बेकाबू हो गई. इसी दौरान मेसी असहज महसूस करने लगे.
मेसी क्यों हुए इरिटेट?
पूर्व भारतीय फुटबॉलर लालकमल भौमिक, जो इस प्रदर्शनी मैच का हिस्सा थे, ने बताया कि अचानक भीड़ बढ़ने से मेसी असहज हो गए. लोग बिना नियंत्रण के तस्वीरें लेने लगे, जिससे मेसी की परेशानी साफ नजर आने लगी. भौमिक के मुताबिक, पहले जो मेसी शांत और खुश नजर आ रहे थे, वही कुछ ही पलों में चिढ़े हुए दिखने लगे.
“मेसी ने खो दिया अपना धैर्य”
लालकमल भौमिक ने कहा कि भीड़ के कारण माहौल पूरी तरह बिगड़ गया. मेसी ने चिढ़ के संकेत देने शुरू कर दिए और फिर स्थिति काबू से बाहर हो गई. मेसी को मैदान छोड़ना पड़ा. इस दौरान उनके साथ मौजूद इंटर मियामी के खिलाड़ी लुइस सुआरेज और रोड्रिगो डी पॉल भी हालात से खुश नहीं थे.
फैंस को मिली निराशा
मेसी के जल्दी चले जाने से स्टेडियम में मौजूद हजारों फैंस बेहद निराश हो गए. कई लोगों ने सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई और आयोजकों की व्यवस्था पर सवाल उठाए. लोग मानते हैं कि अगर भीड़ और सुरक्षा को बेहतर तरीके से संभाला जाता, तो मेसी ज्यादा समय तक मैदान पर रह सकते थे. इस घटना के बाद बड़े सवाल खड़े हो गए हैं कि इतने बड़े स्टार के कार्यक्रम में व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों थी.