भारतीय क्रिकेट टीम के दिग्गज और पूर्व कप्तान एमएस धोनी ने भारतीय टीम के अगले दौरे यानि वेस्टइंडीज़ टूर से अपना नाम वापस ले लिया है. एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली टीम कल 3 अगस्त से शुरु होने वाले वेस्टइंडीज़ टूर के लिए टीम चुनेगी. लेकिन इससे पहले ही धोनी के इस फैसले ने टीम सलेक्शन से पहले अपने आगे के भविष्य पर स्थिति लगभग सपष्ट कर दी है.

बसीसीआई के एक अधिकारी ने ये जानकारी दी है धोनी वेस्टइंडीज़ दौरे पर टीम के साथ जाना नहीं चाहते हैं. धोनी ने फैसला किया है कि वो अगले दो महीने पैरामिलिटरी रैजिमेंट के साथ रहेंगे.

आपको बता दें कि एमएस धोनी टैरिटोरियल आर्मी की पैराशूट रेजिमेंट में बतौर लेफिटेंट कर्नल तैनात हैं और इस वजह से ही वो अगला कुछ वक्त इस रेजिमेंट के साथ बिताना चाहते हैं.

कब लेफ्टिनेंट कर्नल बने धोनी: साल 2011 में भारतीय क्रिकेट टीम की विश्वकप की ऐतिहासिक जीत के बाद पैराशूट रेजीमेंट ने उस समय के भारतीय कप्तान एमएस धोनी को लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद पद से सम्मानित किया था. धोनी को विभिन्न अवसरों पर सेना के प्रति दिखाई गई प्रतिबद्धता के लिए ये सम्मान दिया गया था. जिसके बाद कई मौकों पर धोनी पैरामिलिट्री रेजिमेंट के साथ भी नज़र आए.

कपिल के बाद धोनी बने थे दूसरे क्रिकेटर: एमएस धोनी पैराशूट रेजीमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल के मानद पद से सम्मानित होने वाले दूसरे क्रिकेटर रहे. इससे पहले टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और विश्वकप विजेता कपिल देव को भी इसी सम्मान से नवाज़ा गया था.

साल 2015 में ली पैराजंपिंग की ट्रनिंग: साल 2015 में धोनी ने भारतीय टीम का वनडे और टी20 कप्तान रहते हुए पैरामिलिट्री रेजिमेंट के साथ पैराजंपिंग की ट्रेनिंग भी ली थी. धोनी ने इस उपलब्धि पर क्या कहा था: इस बड़ी उपलब्धि के बाद एमएस धोनी ने कहा था, 'यह वास्तविक सम्मान है, क्योंकि मैं हमेशा भारतीय सेना का हिस्सा बनना चाहता था. जब मैं बच्चा था तो सेना से जुड़ना चाहता था. अब मुझे यह वर्दी पहनने को मिल गई है, तो मेरा सपना सच हो गया है.'

विश्वकप 2019 के मैच में भी ग्लव पर लगाया पैरामिलिट्री सिम्बल: खुद धोनी का सेना से प्रेम किसी से छुपा नहीं है, हाल ही में इंग्लैंड में सम्पन्न हुए विश्वकप 2019 के पहले मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ धोनी ने अपने विकेटकीपिंग ग्लव्स पर पैरामिलिट्री सिम्बल का इस्तेमाल किया था. जिसके बाद खूब बवाल हुआ और आईसीसी ने इसे पहनने पर बैन लगा दिया था.

धोनी पहले भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि अगर कभी सेना को उनकी ज़रूरत पड़ी तो वो देश के लिए लड़ने को भी तैयार हैं.