साल 2003 की बात है. सौरव गांगुली टीम के कप्तान हुआ करते थे. उन्होंने विश्व कप से पहले तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ को संन्यास वापस लेने को कहा. श्रीनाथ खुद भी विश्व कप खेलना चाहते थे. नतीजा ये हुआ कि उन्होंने भारत की जीत के लिए जान लगा दी. वो भारत की तरफ से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर थे. 18 विकेट के साथ जहीर खान पहले और 16 विकेट के साथ श्रीनाथ दूसरे नंबर पर थे.


हरभजन सिंह, युवराज सिंह और जहीर खान जैसे खिलाड़ियों को बनाने भर का श्रेय सौरव गांगुली को नहीं है. बल्कि करियर के शुरूआती दौर में क्रिकेट की चकाचौंध में खोए इन खिलाड़ियों को काबू में रखना भी सौरव गांगुली को आता था. वो लॉर्ड्स की बालकनी में टी-शर्ट लहराता है. वो स्टीव वॉ की आंख में आंख डालकर बात करता है. वो पार्थिव पटेल को वो आत्मविश्वास देता है कि अपने से दोगुनी उम्र के स्टीव वॉ से उलझने में भी पार्थिव पटेल पीछे नहीं रहते.


वो ग्रेग चैपल के साथ भिड़ता है. वो अपने फैंस से आकर पूछता है कि आप अपने दादा को भूले तो नहीं. और वही सौरव गांगुली करियर के आखिरी दौर में टीम में वापसी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहता है कि आउट होने की बजाए शरीर पर चोट खाना अच्छा होता है. सौरव गांगुली की शख्सियत की ये तस्वीरें हमने आपको इसलिए याद दिलाईं क्योंकि वही सौरव गांगुली अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष बनने जा रहे हैं. दुनिया के सबसे अमीर और ताकतवर बोर्ड का बॉस बनने के बाद सौरव गांगुली क्या-क्या करेंगे इसको लेकर अभी से कयास लगने लगे हैं. सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि क्या सौरव गांगुली रवि शास्त्री और विराट कोहली को किसी तरह की बदले की भावना से काम करेंगे?


बतौर अध्यक्ष गांगुली का रूख क्या होगा ?


क्रिकेटिंग दुनिया जानती है कि जब टीम इंडिया के कोच अनिल कुंबले ने जिम्मेदारी छोड़ी तो सौरव गांगुली खुश नहीं थे. वो तो विराट कोहली अड़ गए वरना रवि शास्त्री को कोच जिम्मेदारी नहीं मिलती. अब पेंच ये है कि जिस कमेटी ने रवि शास्त्री को चुना उस कमेटी के सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है. तो क्या सौरव गांगुली शास्त्री के लिए किसी तरह की मुश्किल पैदा कर सकते हैं? इस सवाल के जवाब का व्यवहारिक पक्ष तलाशते हैं.


गागुंली रवि शास्त्री को लेकर बदले की भावना से काम करेंगे इसकी संभावना ना के बराबर है. सौरव गांगुली ये जरूर कर सकते हैं कि वो सही सामंजस्य बनाने की पहल करें. वो भारतीय क्रिकेट की बेहतरी के लिए चीजों को एकसाथ जोड़ना शुरू करें. उन्होंने इस जिम्मेदारी को संभालने के बाद अपनी प्राथमिकताओं को गिनाते हुए यही कहा भी कि वो सबसे पहले घरेलू क्रिकेट की बेहतरी को लेकर काम करना चाहेंगे. घरेलू क्रिकेट की बेहतरी को लेकर सौरव गांगुली का नजरिया खिलाड़ियों के आर्थिक पक्ष से जुड़ा हुआ है. उन्होंने साफ तौर पर कहाकि वो सीओए से लगातार इस बारे में कहते रहे लेकिन उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया गया.


टीम के साथ छेड़छाड़ का कोई औचित्य नहीं


क्रिकेट के खेल में मसाला खोजने वाले लोगों को निराशा होगी. सौरव गांगुली के करीबी लोग जानते हैं कि वो बेवजह टीम के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे. भारतीय टीम इस वक्त शानदार प्रदर्शन कर रही है. टेस्ट क्रिकेट में भारत दुनिया की नंबर एक टीम है. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मौजूदा सीरीज भारतीय टीम पहले ही अपने कब्जे में कर चुकी है. विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की प्वाइंट टेबल में भारतीय टीम पहले नंबर पर है.


वनडे क्रिकेट में भी भारतीय टीम ने विश्व कप में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ अहम सेमीफाइनल मैच से पहले लगातार जीत हासिल की थी. टी-20 में भी टीम का प्रदर्शन काबिले तारीफ चल रहा है. ऐसे में सिर्फ बदला लेने की भावना से सौरव गांगुली कोई फेरबदल करने की सोचें, ऐसा नहीं होने वाला है. वो लंबे समय तक टीम इंडिया के कप्तान रहे हैं. ये टीम इंडिया उनकी बनाई हुई है. उन्हें पता है कि बोर्ड की कामयाबी, उसका रसूख और ताकत भी तभी तक है जब तक टीम इंडिया अच्छा प्रदर्शन करती रहे. भारत में क्रिकेट की असली ताकत उसके चाहने वाले हैं. और कोई भी व्यक्ति हारने वाली टीम में दिलचस्पी नहीं रखता.