Inzamam-ul-Haq, Mohammed Shami: पिछले कुछ दिनों से भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार तेज गेंदबाज मोहम्मद शमी चर्चा में हैं. हालांकि, उनकी चर्चा उनके प्रदर्शन को लेकर नहीं, बल्कि रमजान के रोजा न रखने को लेकर हो रही है. दरअसल, 2025 चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल में मोहम्मद शमी मैच के दौरान खुलेआम जूस पिते दिखे थे. इसके बाद से उनकी काफी आलोचना हो रही है. अब शमी के रोजा न रखने पर पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक का रिएक्शन आया है. 

BBC हिंदी ने अपनी रिपोर्ट में इंजमाम उल हक के हवाले से लिखा है, "खेलते वक्त रोजा छोड़ना कोई वैसी बात नहीं है. मुझे लगता है कि ज्यादा आपत्ति इस बात से हुई कि उसने (शमी) सार्वजनिक रूप से पानी पी लिया. खेलते हुए रोजा रखना मुश्किल है. हम लोगों का भी अपना अनुभव है. रोजे के दौरान जब हम मैच खेलते थे, तो पाकिस्तान की टीम वाटर ब्रेक के दौरान स्क्रीन के पीछे चली जाती थी."

बता दें कि मुसलमानों के लिए रमजान के महीने का एक खास महत्व है. मुस्लिम हर हाल में रमजान के रोजे रखते हैं. हालांकि, इसमें कई मामलों में रियायत भी दी जाती है, जैसे सफर (यात्रा) के दौरान या बीमार होने पर रोजे छोड़े जा सकते हैं, जिन्हें बाद में रख लिया जाता है. 

शमी की आलोचना करने वाले फैंस हाशिम अमला का जिक्र कर उन्हें ट्रोल कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर हाशिम अमला ने रोजा रखकर 300 रनों की पारी खेली थी तो शमी भी रोजा रख सकते थे. बता दें कि पहले तो यह फैक्ट ही गलत है. अमला ने जब 300 की पारी खेली थी तो वह रोजे से नहीं थे. उन्होंने खुद एक इंटरव्यू में इसका खुलासा किया था. इसके अलावा एक तेज गेंदबाज के लिए मैच के दौरान रोजा रखना काफी मुश्किल है.