भारत के पूर्व कप्तान और अपने समय के दिग्गज बल्लेबाज़ रहे सुनील गावस्कर ने आज इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन को फटकार लगाई. दरअसल, हुसैन का कहना था कि भारत की पिछली क्रिकेट टीमों को विराट कोहली की अगुवाई वाली मौजूदा टीम की तुलना में मैदान पर धमकाना (बुली) आसान था. 


टेस्ट मैचों में सबसे पहले 10,000 रन बनाने वाले गावस्कर ने अपने अंतरराष्ट्रीय करिरयर में पांच बार (1971, 1974, 1979, 1982, 1986) इंग्लैंड का दौरा किया. उन्होंने हुसैन से कहा कि अगर उनकी पीढ़ी के क्रिकेटरों को कहा जाता है कि उन्हें ‘धमकाया जा सकता था’ तो वह बहुत नाराज होंगे. 


गावस्कर और हुसैन के बीच एक लेख को लेकर ‘सोनी’ पर ‘ऑन-एयर’ (सीधे प्रसारित) बहस हो गयी, जो इंग्लैंड के पूर्व कप्तान ने ब्रिटेन के एक अखबार के लिये लिखा है. इसमें नासिर ने लिखा कि पहले की भारतीय टीमें इस मौजूदा टीम की तुलना में एक इकाई के तौर पर मजबूत नहीं थी जो मौजूदा सीरीज़ में इंग्लैंड पर 1-0 से बढ़त बनाये है. 


पूर्व भारतीय कप्तान गावस्कर ने ‘ऑन-एयर’ हुसैन से पूछा, ‘‘आपने कहा कि इस भारतीय टीम को ‘बुली’ नहीं किया जा सकता जबकि पिछली पीढ़ी की टीमों को किया जा सकता था. पिछली पीढ़ी की बात करते हुए, क्या आप बता सकते हैं कि कौन सी पीढ़ी? और ‘बुली’ (बुली करना- मैदान पर दबाव डालने के लिये भयभीत करना) का असल मतलब क्या है?’’


हुसैन ने बताने की कोशिश की कि उन्होंने अपने लेख में जो लिखा है उसका मतलब क्या है. लेकिन गावस्कर जो समझ रहे थे, वो इससे अलग नहीं था. हुसैन ने कहा, ‘‘मुझे सिर्फ यह लगता है कि पिछली भारतीय टीमें आक्रामकता को ‘नहीं, नहीं, नहीं’ कहती. लेकिन कोहली ने जो किया है, वह दोगुना आक्रामकता दिखा रहा है.’’


हुसैन ने कहा, ‘‘मैंने सौरव गांगुली की टीम में इसकी झलक देखी थी और उन्होंने शुरूआत की थी, जो विराट कोहली जारी रख रहे हैं. यहां तक कि जब विराट टीम में नहीं (आस्ट्रेलियाई दौरे पर पैटरनिटी लीव) थे तो अंजिक्य रहाणे ने ऑस्ट्रेलियाई टीम पर दबदबा बनाया था.’’


गावस्कर ने कुछ डाटा के साथ हुसैन के दावों को खारिज किया. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब आप कहते हैं कि पिछली पीढ़ी की टीमों को ‘धमकाया’ गया था तो मुझे ऐसा नहीं लगता. अगर मेरी पीढ़ी को ‘धमकायी जा सकने वाली’ कहा जाता है तो मैं बहुत नाराज हो जाऊंगा. अगर आप रिकार्ड देखें तो 1971 में हमने जीत हासिल की जो इंग्लैंड का मेरा पहला दौरा था.’’


उन्होंने कहा, ‘‘1974 में हमारी आंतरिक समस्यायें थीं तो हम 0-3 से हार गये थे. 1979 में हम 0-1 से हारे थे, अगर हम ओवल में (भारतीय टीम आठ विकेट पर 429 रन पर थी, जब मैच ड्रा हुआ) 438 रन के लक्ष्य का पीछा कर लेते तो यह 1-1 हो सकता था.’’


गावस्कर ने कहा, ‘‘1982 में हम 0-1 से हारे. 1986 में हमने 2-0 से जीत हासिल की, जिसे हम 3-0 से भी जीत सकते थे. इसलिये मुझे नहीं लगता कि हमारी पीढ़ी को ‘बुली’ किया जा सकता था.’’


गावस्कर ने कहा कि आक्रामक होने का अर्थ यह नहीं कि आपको प्रतिद्वंद्वी के मुंह पर ही जवाब देना होगा. उन्होंने कोहली के नाम का जिक्र किये बिना कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि आक्रामक होने का मतलब है कि आपको हमेशा प्रतिद्वंद्वी के मुंह पर जवाब देना होता है. आप जुनून दिखा सकते हो, आप हर विकेट के गिरने के बाद चिल्लाये बिना भी अपनी टीम के प्रति प्रतिबद्धता दिखा सकते हो.’’