नई दिल्लीः नए कोच की अगुवाई में छह दिनों की प्रैक्टिस सेशन के बाद टीम इंडिया अब तैयार है वेस्टइंडीज दौरे के लिए. दौरे पर टीम को चार टेस्ट मैच खेलने हैं. कप्तान विराट कोहली ने दौरे से पहले कहा कि इन चार टेस्ट मैच के बाद हमें पता चलेगा कि टीम इंडिया एक टेस्ट टीम के लिए कितनी बन पाई है. भारत को इस सीजन में वेस्ट इंडीज दौरे के अलावा 13 टेस्ट खेलने हैं. ऐसे में ये दौरा न सिर्फ टीम इंडिया को टेस्ट टीम के लिए टेस्ट करेगी बल्कि कुछ खिलाड़ियों के लिए ये दौरा काफी अहम रहने वाला है. टेस्ट टीम में कुछ ही खिलाड़ियों के पास पक्का स्थान है.

 

 

शिखर धवन - ऑफ स्टंप से बाहर जाती गेंद पर बल्ला लगाने की आदत से मजबूर धवन अगर इस टूर में अपनी गलती से सबक नहीं लेते तो उनके लिए आने वाला समय काफी दिक्कत भरा हो सकता है. धवन के लिए लोकेश राहुल भी एक परेशानी हैं. राहुल हर फॉर्मेट में बेहतरीन रहे हैं. उनके फ़ॉर्म में आने का मतलब है कि धवन पर अपनी जगह बचाने का दबाव है. दूसरी तरफ राहुल कप्तान कोहली के नेतृत्व में आरसीबी से खेलते हैं और उन्हें भी राहुल की बल्लेबाजी भाती है. ऐसे में धवन के लिए पहला टेस्ट काफी महत्वपूर्ण होगा. 

 

 

 

ऋद्दिमान साहा - महेन्द्र सिंह धोनी के संन्यास के बाद से ही टीम इंडिया को एक बेहतरीन विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश है. टेस्ट कप्तान कोहली ने साफ शब्दों में कहा है कि साहा उनकी पहली पसंद हैं लेकिन खुद साहा इस बात से वाकिफ रखते हैं कि उन्हें अपनी बल्लेबाजी पर और अधिक काम करने की जरूरत है. टीम के साथ के एल राहुल एक विक्लप के चौर पर हैं लेकिन उन्हें टेस्ट मैच का विकेट के पीछे से इतना लंबा अनुभव नहीं है. ऐसे में साहा पूरी सीरीज में विकेट के पीछे रहेंगे. लेकिन इस पूरी सीरीज में अगर वो बल्लेबाजी में असफल हुए तो फिर उनके प्रदर्शन को लेकर सवाल उठने लगेंगे.  

 

मोहम्मद शमी - इंज्री के बाद शमी लंबे समय के लिए मैदान से बाहर थे. वेस्टइंडीज दौरे में नाम आने से पहले शमी ने मैदान पर ज्यादा मैच नहीं खेला. हालांकि उनकी गेंदबाजी पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. खुद कप्तान कोहली उन्हें वेस्टइंडीज के लिए अपनी नंबर वन पसंद बता चुके हैं. लेकिन लंबे अर्से बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक बार फिर से खुद को साबित करने का उनके ऊपर मनोवैज्ञानिक प्रेशर होगा. न सिर्फ उन्हें वेस्टइंडीज में विकेट निकालने होंगे बल्कि अपनी चोट पर भी ध्यान देना होगा. पूरी सरीजी में सबसे अधिक नजर उन पर ही होगी. उन्हें कप्तान की नजरों में भी खुद को साबित करना होगा. 

 

रविन्द्र जडेजा - जडेजा लंबे समय से अब टीम के साथ हैं. बहुत कम मौका पर उन्हें अपने से जौहर दिखाने का मौका मिलता है. टेस्ट क्रिकेट में वो काफी नीचे बल्लेबाजी करने आते हैं. नए कोच कुंबले ने भी उन्हें अपने बल्ले से योगदान देने को कहा है. दूसरी तरफ गेंदबाजी में भी उन्हें अश्विन और मिश्रा के साथ विकेट निकालने होंगे. लेकिन गेंदबाजी से ज्यादा उनपर बल्लेबाजी का प्रेशर होगा.