यह घटना उस समय की है जब बंगाल के सीनियर खिलाड़ियों ने देवांग के ड्रेसिंग रूम में प्रवेश करने को लेकर भ्रष्टाचार निरोधक प्रोटोकॉल पर सवाल उठाए. भ्रष्टाचार निरोधक प्रोटोकॉल के अनुसार मैच के लिए चुने गए खिलाड़ी और टीम सपोर्ट स्टाफ ही ड्रेसिंग रूम में मौजूद रह सकते हैं.
इस बीच, क्रिकेट एसोएिशन ऑफ बंगाल (सीएबी) ने देवांग का बचाव किया है और कहा है कि वह कुछ मेडिकल सहायता लेने के लिए गए ड्रेसिंग रूम में गए थे.
सीएबी के सचिव अविशेक डालमिया ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिकारी ने देवांग को थोड़े समय के लिए ड्रेसिंग रूम में प्रवेश करने की इजाज दी थी. सीएबी ने एक बयान में कहा, "देवांग गांधी जोकि एक राष्ट्रीय चयनकर्ता हैं, वह गुरुवार को उस समय ड्रेसिंग रूम में प्रवेश करना चाहते थे जब मैच खेला नहीं जा रहा था. मैच रेफरी से अनुमति मिलने के बाद ही भ्रष्टाचार निरोधक अधिकारी ने देवांग को थोड़े समय के लिए ही ड्रेसिंग रूम में प्रवेश करने की इजाजत दी."
सीएबी ने कहा, "गांधी चिकित्सा उपचार के लिए ड्रेसिंग रूम में जाना चाहते थे और उन्होंने इसकी जानकारी भ्रष्टाचार निरोधक अधिकारी को भी दी. अधिकारी ने फिर उन्हें मेडिकल रूम के बाहर ही चिकित्सा सुविधा देने की बात कही ताकि प्रोटोकॉल बना रहे."
सीएबी के इस बयान के बाद अब मनोज तिवारी की मुश्किलें बढ़ने वाली है क्योंकि तिवारी की शिकायत पर ही देवांग को भ्रष्टाचार निरोधक अधिकारी द्वारा बंगाल की ड्रेसिंग रूम से बाहर किया गया था.
पूर्व कप्तान मनोज ने संवाददाताओं से कहा, "हमें भ्रष्टाचार निरोधक प्रोटोकॉल को मानना होगा. एक राष्ट्रीय चयनकर्ता बिना अनुमति के टीम के ड्रेसिंग रूम में नहीं जा सकता." उन्होंने कहा, "केवल चुने हुए खिलाड़ी और अधिकारी ही ड्रेसिंग रूम में प्रवेश कर सकते हैं."