ये बात सच है. सोलह आने सच. कई ऐसे मैच हैं जब आप स्कोरबोर्ड पर नजर डालेंगे तो उसमें ऐसा लगेगा कि धोनी ने कुछ किया ही नहीं है. लेकिन अगर आपने मैच देखा है और बारीकी से उसको परखा है तो आप समझेंगे कि दरअसल जीत के पीछे धोनी का योगदान क्या था. मंगलवार को भी कुछ ऐसा ही हुआ. सनराइजर्स हैदराबाद ने इस मैच में चेन्नई के सामने 176 रनों का लक्ष्य रखा. जो चेन्नई की टीम ने 20वें ओवर में 4 विकेट खोकर हासिल कर लिया. चेन्नई की टीम की ये सीजन की 8वीं जीत है. अभी उसे तीन लीग मैच और खेलने हैं. यानी इस जीत के साथ ही प्लेऑफ में चेन्नई ने अपनी जगह सुनिश्चित कर ली है.


अब जरा मैच को रिवाइंड करिए. टॉस से आते हैं. महेंद्र सिंह धोनी ने टॉस जीता और पहले फील्डिंग का फैसला किया. उनके दिमाग में सिर्फ एक बात घूम रही थी. वो बात थी कि डेविड वॉर्नर या जॉनी बेयरस्टो में से किसी एक को जल्दी आउट करना है. इन दोनों बल्लेबाजों में से एक की आक्रामकता तो फिर भी विरोधी टीम के गेंदबाज और कप्तान झेल सकते हैं लेकिन अगर दोनों आक्रामक हो गए और पहले पॉवरप्ले में भी बल्लेबाजी कर ली तो अपनी टीम के स्कोरबोर्ड को बहुत मजबूत कर देते हैं. आपको बता दें कि इस सीजन में डेविड वॉर्नर और जॉनी बेयरस्टो कमाल की फॉर्म में हैं.


वॉर्नर-बेयरस्टो की जोड़ी के लिए धोनी की रणनीति
सनराइजर्स हैदराबाद की टीम ने अब तक खेले गए 10 मैचों में कुल 1579 रन बनाए हैं. इसमें से 1019 रन वॉर्नर-बेयरस्टो की जोड़ी ने बनाए हैं. यानी टीम के कुल स्कोर का करीब 65 फीसदी हिस्सा इन दोनों बल्लेबाजों के बल्ले से निकला है. इस सीजन में दोनों बल्लेबाज एक-एक शतक जड़ चुके हैं. सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की फेहरिस्त में पहले और दूसरे पायदान पर हैं. धोनी इस बात का हिसाब लगाकर आए थे. उन्होंने इस मैच के लिए हरभजन सिंह को मौका दिया. धोनी ने भज्जी को ना सिर्फ मौका दिया बल्कि दूसरे ही ओवर में गेंद थमा दी.


इस सीजन में शानदार फॉर्म में चल रहे हरभजन सिंह ने भी धोनी को निराश नहीं किया. उन्होंने अपने पहले ओवर की तीसरी ही गेंद पर जॉनी बेयरस्टो को चकमा दिया. धोनी इसके लिए तैयार थे. बेयरस्टो के बल्ले से निकले ‘एज’ को उन्होंने अपने दस्ताने में कैद किया और राहत की सांस ली क्योंकि इसके बाद मुकाबला बराबरी का था. मैच पर इस विकेट का नतीजा भी दिखा. डेविड वॉर्नर ने एक बार फिर 57 रन बनाए लेकिन धोनी का प्लान चल गया. बाद में मनीष पांडे ने भी जबरदस्त बल्लेबाजी की. डेविड वॉर्नर और मनीष पांडे भी अगर साथ में लंबी देर तक खेल जाते तो स्कोर दो सौ के करीब होता. लेकिन डेविड वॉर्नर का विकेट भी हरभजन सिंह ने ही लिया. लिहाजा मैच चेन्नई की झोली में आया.


धोनी ने हरभजन सिंह को यूं ही नहीं रखा था
हरभजन सिंह पिछले चार मैचों से प्लेइंग 11 का हिस्सा नहीं थे. वो भी तब जबकि कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ अपने पिछले मैच में उन्होंने शानदार गेंदबाजी की थी. भज्जी ने कोलकाता के खिलाफ 4 ओवर में 15 रन देकर दो विकेट लिए थे. अब जरा इस सीजन का पहला मैच याद कीजिए. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम को चेन्नई ने सिर्फ 70 रनों पर समेट दिया था. उस मैच में हरभजन सिंह ने 3 विकेट लिए थे. उस मैच को जिसने भी देखा था उससे पूछिएगा कि धोनी ने विराट कोहली और एबी डीविलियर्स जैसे बल्लेबाजों के खिलाफ किस तरह की फील्डिंग ‘सेट’ की थी. धोनी कभी स्पिन गेंदबाजों से विकेट का ‘क्रेडिट’ नहीं लेते लेकिन बल्लेबाज खुद से उन्हें ‘क्रेडिट’ देते हैं क्योंकि वो ये बात सबसे अच्छी तरह जानते हैं कि जब धोनी कुछ नहीं करते दिखते तब दरअसल वो बहुत कुछ कर रहे होते हैं.