जकार्ता: एशियाई खेलों की कुश्ती स्पर्धा में पहले दौर की बाउट में ही बाहर होने के बाद भारत के अनुभवी पहलवान सुशील कुमार के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं. लेकिन उनका कहना है कि उनका करियर खत्म नहीं हुआ है. दो बार के ओलंपिक पदकधारी पहलवान सुशील को पुरूष 74 किग्रा वर्ग में बहरीन के एडम बातिरोव के खिलाफ पहले क्वालीफिकेशन दौर की बाउट में उलटफेर का सामना करना पड़ा. 35 साल के इस भारतीय पहलवान को क्वालीफिकेशन दौर में बातिरोव से 3-5 से हार मिली.
सुशील ने मीडिया से कहा, "इस हार की उम्मीद नहीं थी. 57 किग्रा वर्ग का विश्व चैम्पियन मेरे पास बैठा हुआ था और उसने कहा कि वह हार गया है. मैंने उसे कहा, चिंता मत करो, मैं भी हार गया हूं. यह खेल का हिस्सा है. मैं फिर से वापसी करूंगा." पहलवान ने आगे कहा, "हमें जीत या हार से ज्यादा उत्साहित या हतोत्साहित नहीं होना चाहिए. इससे आपका कोई फायदा नहीं होगा."
राष्ट्रमंडल खेलों में सुशील कुमार ने अपना तीसरा गोल्ड पदक हासिल किया सुशील पिछले महीने जार्जिया में तबलिसी ग्रां प्री में चार साल में पहली बार और पहली ही बाउट में हार गए थे उसके बाद वह यहां खेलने गए थे. हालांकि, अप्रैल में राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने अपना तीसरा गोल्ड पदक हासिल किया था लेकिन गोल्ड कोस्ट में स्पर्धा इतनी कठिन नहीं थी क्योंकि कोई भी एशिया का पहलवान इसमें शामिल नहीं था. उनकी फार्म पर सवाल उठ रहे थे और उन्हें ट्रायल्स से छूट दिए जाने के फैसले की भी देश के कुश्ती तबके में आलोचना की गई थी.
35 साल के सुशील दूसरे राउंड में बातिरोव से पिछड़ गए. लेकिन उनके पास अपने कॉम्पिटिटर को हराने का कोई मौका नहीं था जो दो बार के रूसी ओलंपिक चैम्पियन मावलेत बातिरोव के भाई हैं. जब उनसे ये पूछा गया कि क्या उम्र के साथ उनका स्टैमिना कम हो रहा है तो उन्होंने इस बात पर इंकार कर दिया. उन्होंने कहा, "नहीं, अगर मेरा स्टैमिना कम हो रहा होता तो मैं पूरे समय तक नहीं खेलता. मैं पहले ही हार जाता. मैं सुस्त नहीं था. मैं तपस्वी हूं. मैं अपने खेल का लुत्फ उठा रहा हूं, मैं थका नहीं हूं. जिस दिन मैं थक जाऊंगा, आपको बता दूंगा."
बड़ा टूर्नामेंट खेल रहा था, इसलिए छोटी सी गलती हुई सुशील अपनी बाउट में आक्रामक नहीं थे लेकिन उन्होंने अपनी रणनीति का बचाव किया. उन्होंने कहा, "यह धीमी शुरूआत नहीं थी. अगर मैं बढ़त बनाए हूं तो मैं ज्यादा आक्रमण नहीं कर सकता. मैंने बाद में हमला करके गलती की जबकि तब मुझे रक्षात्मक होना चाहिए था. मैं चार साल के बाद बड़ा टूर्नामेंट खेल रहा था, इसलिए छोटी सी गलती हुई." सुशील ने कहा, "मैंने चार साल में ज्यादा बड़े टूर्नामेंट नहीं खेले थे. राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के बीच ज्यादा समय नहीं था इसलिये मैं तैयारी के लिये बेहतर टूर्नामेंट नहीं खेल सका. आज की हार का यही कारण है."
अब आगे विश्व चैम्पियनशिप होने वाली है और सुशील ने कहा कि वह इसके लिए योजना बनाएंगे. उन्होंने कहा, "एशियाई चैम्पियनशिप विश्व चैम्पियनशिप की तरह ही है. ओलंपिक चैम्पियन एशिया से हैं. मैं निश्चित नहीं हूं कि मैं ट्रेनिंग के लिये जार्जिया जाऊंगा या नहीं."
इसपर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष ब्रृज भूषण शरण यहां भारत के दल प्रमुख हैं. उन्होंने कहा कि सुशील 74 किग्रा में सर्वश्रेष्ठ विकल्प थे और उन्हें ट्रायल्स से छूट देने का डब्ल्यूएफआई को कोई पछतावा नहीं है. उन्होंने कहा, "अगर हमने उसे मौका नहीं दिया होता तो भी सवाल उठाये जाते. हमें उसे यह मौका देना ही था. वह इस वर्ग में हमारा सर्वश्रेष्ठ पहलवान है."
वहीं ऐसी भी चर्चाएं चल रही थीं कि सुशील ने शायद अपनी अंतिम बहु स्पर्धा वाली प्रतियोगिता खेल ली है. डब्ल्यूएफआई के एक सूत्र ने कहा कि सुशील को शायद विश्व चैम्पियनशिप के लिए नहीं चुना जाएगा और ऐसी भी संभावना है कि वह खुद इस वर्ग में किसी अन्य पहलवान के लिए जगह बना दे. सूत्र ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, "देखिए, उनकी उम्र बढ़ रही है. वह अब भी कोशिश कर रहा है और यह सराहनीय है. आप कुछ नहीं कह सकते, ऐसा भी हो सकता है कि वह खुद ही विश्व चैम्पियनशिप से हट जाये."