पक्ष-विपक्ष की तमाम दलीलों के साथ जानें तीन तलाक के बारे में पूरी जानकारी
आज तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा. इस फैसले से तय होगा कि एक साथ 3 बार तलाक बोलकर शादी तोड़ने की व्यवस्था चलती रहेगी या इसे खत्म कर दिया जाएगा. पांच जजों की बेंच ने तलाक के पक्ष और विपक्ष में 6 दिन तक दलीलें सुनीं. इस सुनवाई के दौरान कुल 30 पक्ष अपनी दलीलें अदालत के सामने रख चुके हैं. बेंच की अध्यक्षता चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने की थी. बेंच के बाकी सदस्य जस्टिस कुरियन जोसफ, रोहिंटन नरीमन, यू यू ललित और एस अब्दुल नज़ीर थे. तीन तलाक के मसले से जुड़े अहम संवैधानिक सवालों को देखते हुए इसे पांच जजों की संविधान पीठ को सौंपा गया था. गर्मी की छुट्टी में संविधान पीठ विशेष रूप से सुनवाई के लिए बैठी थी.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appमुस्लिम संगठनों की दलीलें- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद जैसे संगठनों ने कोर्ट की कार्रवाई को धार्मिक मामले में दखल बताते हुए इसका विरोध किया. इन संगठनों ने इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में दी गई धर्म और उससे जुड़ी परंपराओं को मानने की आज़ादी के खिलाफ बताया.
केंद्र सरकार तीन तलाक के खिलाफ- केंद्र सरकार ने भी तीन तलाक को रद्द करने की वकालत की है. सरकार की तरफ से कहा गया कि कोर्ट के आदेश के बाद अगर ज़रूरी हुआ तो सरकार इस मसले पर कानून भी लाएगी.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के वकील शकील अहमद सैयद ने कहा, ‘’हम लोगों का कहना था कि 1937 के बाद से हम गवर्न हो रहे हैं. इसमें दखल नहीं होना चाहिए.’’
पहली बात- क्या तीन तलाक इस्लाम का मौलिक और अनिवार्य हिस्सा है? यानी क्या ये धर्म का ऐसा अभिन्न हिस्सा है, जिसके बिना इस्लाम का स्वरूप बिगड़ जाएगा? दूसरी बात- क्या मर्दों को हासिल तीन तलाक का अधिकार मुस्लिम महिलाओं के समानता और सम्मान के मौलिक अधिकार के खिलाफ है? सुप्रीम कोर्ट इन्हीं दो सवालों का जवाब अपने फैसले में देने वाला है. ये जवाब ही तय करेंगे कि तीन तलाक की व्यवस्था रहेगी या रद्द हो जाएगी.
आज तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा. फैसले से तय होगा कि एक साथ तीन बार तलाक बोलकर शादी तोड़ने की व्यवस्था चलती रहेगी या इसे खत्म कर दिया जाएगा.
तीन तलाक के विरोध में दलीलें- सात याचिकाकर्ता महिलाओं ने कोर्ट से तीन तलाक को रद्द करने की गुहार लगाई. मुस्लिम महिला आंदोलन, मुस्लिम वीमेन पर्सनल लॉ बोर्ड, लॉयर्स कलेक्टिव जैसे कई संगठनों ने तीन तलाक खत्म करने की मांग का समर्थन किया. तीन तलाक का विरोध कर रहे पक्ष ने शादी तोड़ने के मर्दों के इकतरफा हक को मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया. याचिकाकर्ता फरहा फैज का कहना है, ‘’हम 70 साल से शिकंजे में फंसे हैं. औरतों ने हिम्मत दिखाई है. ऐसा कानून बने जिससे धर्म भी डिस्टर्ब न हो और सेकुलर सॉल्यूशन हो. कुरान में तीन तलाक नहीं है. कोर्ट से जो फैसला आएगा वो औरतों के हक में आएगा.’’
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने मुस्लिम समाज से जुड़े तीन तलाक के बेहद अहम मसले पर 18 मई को सुनवाई पूरी की थी. पांच जजों की बेंच ने तलाक-ए-बिद्दत यानी तीन तलाक के पक्ष और विपक्ष में 6 दिन तक दलीलें सुनीं थी. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य रूप से दो बातों पर विचार किया था.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -