बिना पूछे सामने वाली की बातें रिकॉर्ड करते हैं आप? जानें कितनी मिल सकती है सजा
आज हर किसी के पास स्मार्टफोन है. और रिकॉर्डिंग एक टैप में हो जाती है. कई लोग इसे सबूत के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. तो कुछ अपनी सेल्फ प्रोटेक्शन के नाम पर. लेकिन क्या बिना इजाजत किसी की बात रिकॉर्ड करना सही है और क्या ये कानूनी है.
भारतीय कानून के मुताबिक अगर आप किसी की बातचीत को बिना उसकी सहमति के रिकॉर्ड करते हैं. तो ये उसके राइट टू प्राइवेसी का वॉयलेशन माना जाता है. खासकर तब. जब उस रिकॉर्डिंग को किसी और के साथ शेयर किया जाए या सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया जाए. ये सिर्फ अनएथिकल नहीं. क्रिमिनल भी हो सकता है.
भारतीय न्याय संहिता यानी BNS की धारा 356 मानहानि, 357 विनम्रता का अपमान और आईटी एक्ट की धारा 66E के तहत, बिना परमिशन के रिकॉर्डिंग करना और उसे फैलाना कानूनी अपराध है. इसके लिए आपको 3 साल तक की जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं. अगर मामला संवेदनशील हो तो केस और भी ज्यादा गंभीर हो सकता है.
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निजता का अधिकार को एक मौलिक अधिकार माना है. यानी अगर कोई व्यक्ति आपकी प्राइवेट बातचीत रिकॉर्ड करता है और उसे कहीं शेयर करता है. तो आप उसके खिलाफ लीगल एक्शन ले सकते हैं. और कोर्ट इसे गंभीरता से लेता है. खासकर जब आपकी इमेज या मानसिक स्थिति पर असर हो.
कुछ मामलों में रिकॉर्डिंग लीगल हो सकती है. जैसे अगर आप खुद उस बातचीत का हिस्सा हैं और वो रिकॉर्डिंग किसी क्राइम को पकड़ने के लिए की जा रही हो. लेकिन फिर भी उसे पब्लिकली शेयर करना एक अलग अपराध बन सकता है. इसलिए सावधानी जरूरी है.
आज जहां सबसे पास स्मार्टफोन हैं वहां इस तरह के काम करना आसान हो गया है. लेकिन किसी की भी बात को चुपके से रिकॉर्ड करना ना सिर्फ गलत है. बल्कि आपकी फ्यूचर मुसीबत का दरवाज़ा भी खोल सकता है. इसलिए इससे बचकर रहें.