FIR लिखते हुए इन बातों का रखें खयाल, नहीं तो उल्टा आप ही हो जाएंगे गिरफ्तार
किसी भी आपराधिक मामले पर आगे की कार्रवाई के लिए FIR बेहद जरूरी होती है. इसी दस्तावेज के आधार पर पुलिस आगे की तहकीकात करती है.
इंडियन कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर1973 की धारा 154 के अनुसार फिर दर्ज की जाती है. अगर कोई पुलिस अधिकारी फिर दर्ज करने से मन करता है तो उसके खिलाफ भी उच्च अधिकारी से शिकायत की जा सकती है.
लेकिन FIR दर्ज करवाते वक्त लोगों को काफी एहतियात बरतनी चाहिए. वरना उन्हें ही उल्टा जेल जाना पड़ सकता हैं.
आप सोच रहे होंगे ऐसा कैसे हो सकता है तो आपको बता दें बहुत से लोग FIR दर्ज करवाते वक्त मामले में झूठी जानकारी भी दर्ज करवा देते हैं. जो कि एक अपराध है.
यानी मान लीजिए किसी के घर में चोरी हुई और चोरी 1000 रुपये की हुई लेकिन फिर में उसने 1,00,000 रुपये चोरी हुए हैं यह लिखवा दिया. या किसी को बस गाली दी है लेकिन लिखवा दिया कि बुरी तरह पीटा गया है.
अगर कोई भी इस प्रकार से किसी अपराध को बढ़ा चढ़ा कर दिखाना चाहता है. और FIR में गलत जानकारी दर्ज करवाता है. तो फिर पुलिस उल्टा उसी शख्स पर कार्रवाई कर सकती है.