अभी कितनी सैलरी वालों का कटता है PF, जानें कितनी लिमिट करने की तैयारी में EPFO?
रिपोर्ट के अनुसार EPFO का केंद्रीय बोर्ड अपनी अगली बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा कर सकता है. यह बैठक दिसंबर या जनवरी में होने की संभावना है. ऐसे में अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो, 2014 के बाद यह पहली बार होगा जब वेतन सीमा में संशोधन किया जाएगा.
वहीं वर्तमान में 15,000 रुपये प्रति माह या उससे कम वेतन वाले कर्मचारियों को EPF और EPS में शामिल होना अनिवार्य है. इसके अलावा 15,000 से ज्यादा कमाने वाले कर्मचारियों के पास इन योजनाओं से बाहर रहने का ऑप्शन होता है. वहीं नियोक्ताओं पर ऐसे कर्मचारियों को EPF या EPS में शामिल करने की कानूनी बाध्यता नहीं होती है.
इसके अलावा श्रमिक यूनियन लंबे समय से वेतन सीमा बढ़ाने की मांग कर रहा था. उनका कहना है कि आज महानगरों में काम या मध्यम कौशल वाले कर्मचारियों की सैलरी 15,000 से ज्यादा है. ऐसे में वह EPFO के दायरे में नहीं आते है. लेकिन नई सीमा लागू होने से यह समस्या खत्म हो जाएगी.
नियमों के अनुसार हर महीने नियोक्ता और कर्मचारी दोनों सैलरी का 12 प्रतिशत योगदान देते हैं.वहीं कर्मचारियों का पूरा 12 प्रतिशत हिस्सा EPF खाते में जाता है, जबकि नियोक्ता का 12 प्रतिशत दो हिस्सों में बंटता है.
जिसमें 3.67 प्रतिशत EPF में और 8.33 प्रतिशत EPS में जाता है.ऐसे में अगर सीमा 25,000 हो जाती है तो, PF खाते में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का योगदान 1800 से बढ़कर 3000 रुपये प्रतिमाह हो जाएगा. यानी की कुल मिलाकर 2400 ज्यादा जमा होंगे.
वहीं वेतन सीमा बढ़ने से EPF और EPS दोनों की कोष राशि में भी बड़ा इजाफा होगा.इससे रिटायरमेंट के समय मिलने वाली पेंशन में बढ़ोतरी होगी और ब्याज दर की रकम भी बढ़ेगी.
वर्तमान समय में EPFO के लगभग 7.6 करोड़ सक्रिय सदस्य है और इसका कुल कोष करीब 26 लाख करोड़ रुपये हैं.