एक जनरल कोच में ज्यादा से ज्यादा कितने यात्री सफर कर सकते हैं, क्या रेलवे में ऐसा भी होता है कोई नियम?
इनमें जनरल कोच की डिमांड सबसे ज़्यादा रहती है. जनरल कोच को अनरिज़र्व्ड कोच भी कहा जाता है. जो लोग बिना रिजर्वेशन करवाए कम खर्च में सफर करना चाहते हैं. उनके लिए यह कोच बेस्ट होता है. यह कोच लगभग हर ट्रेन में होता है.
जब भी आपने देखा होगा जनरल कोच हमेशा यात्रियों से भरा मिलता है. क्योंकि इसकी टिकट सस्ती होती है. और किसी भी सीट पर किसी का हक नहीं होता है. इसलिए इसमें इतने सारे लोग नजर आते हैं. लेकिन क्या किसमें कितने भी यात्री सफर कर सकते हैं.
या फिर स्लीपर और एसी कोच की तरह इसमें भी यात्रियों के सफर करने को लेकर कोई लिमिट तय की गई है. अगर आपके भी मन में है यह सवाल तो आपको बता दें रेलवे ने इसके लिए आधिकारिक लिमिट तय नहीं है. लेकिन जनरल कोच को ऐसे डिजाइन किया जाता है जिससे इसमें ज्यादा से ज्यादा यात्री आ सकें.
स्लीपर और एसी की तरह ही इसमें भी एक तय संख्या में सीटें होती है. और बाकी जगह लोगों के खड़े होने के लिए होती है. रेलवे ने जनरल कोच में लगभग 90 से 100 यात्रियों की क्षमता तय कर रखी है. लेकिन त्योहारों, छुट्टियों या स्पेशल मौकों पर यह आंकड़ा बहुत ज़्यादा बढ़ जाता है.
एक कोच में कई बार 200 से 250 लोग भी सफर करते नजर आते हैं. कई बार सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए रेलवे समय-समय पर जनरल कोच की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उपाय करता है. कुछ रूट्स पर एक्सट्रा जनरल कोच जोड़े जाते हैं या फिर स्पेशल ट्रेनें चलाई जाती हैं.
रेलवे का नियम साफ कहता है कि कोच की उसकी तय कैपेसिटी से ज्यादा यात्रियों को उसमें नहीं चढ़ना चाहिए. क्योंकि इससे यात्रियों की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है. रेलवे ने हाल ही में जनरल कोच को लेकर ट्रायल के तौर पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 150 टिकट ही जारी करने का नियम लागू किया है.