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फटाफट पढ़ें पांच जजों की तीन तलाक पर आए फैसले की मुख्य बातें

ABP News Bureau   |  22 Aug 2017 05:10 PM (IST)
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देश के पांच सबसे वरिष्ठ जजों चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस अब्दुल नजीर ने आज तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला दिया. पांच जजों की बेंच में से तीन जजों ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया. ऐसे में 3-2 के अनुपात के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को खत्म कर दिया. इस स्लाइड में मुस्लिम महिलाओं के हक में ये ऐतिहासिक फैसला देने वाले इन पांच जजों के फैसले की प्रमुख बातें जान सकते हैं. बताते चलें कि ये पांचों जज देश के अलग-अलग धर्म और समुदाय से आते हैं जिन्होंने इस बेहद गंभीर मु्द्दे पर मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बदलने वाला फैसला दिया है.

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जस्टिस रोहिंटन नरीमन और यू यू ललित- इस्लाम में एक साथ 3 तलाक को गलत माना गया है. पुरुषों को हासिल एक साथ 3 तलाक बोलने का हक महिलाओं को गैर बराबरी की स्थिति में लाता है. ये महिलाओं के मौलिक अधिकार के खिलाफ है.

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जस्टिस कुरियन जोसफ के फैसले से- सुप्रीम कोर्ट पहले भी शमीम आरा जजमेंट में 3 तलाक को कानूनन गलत करार दे चुका है. तब कोर्ट ने विस्तार से वजह नहीं बताई थी. अब विस्तार से इसे बताने की ज़रूरत है. इस्लामी कानून के 4 स्रोत हैं. कुरान, हदीस, इज्मा और कियास. कुरान मौलिक स्रोत है. जो बात कुरान में नहीं है उसे मौलिक नहीं माना जा सकता. बाकी स्रोतों में कोई भी बात कुरान में लिखी बात के खिलाफ नहीं हो सकती. 1937 के शरीयत एप्लिकेशन एक्ट का मकसद मुस्लिम समाज से कुरान से बाहर की बातों को हटाना था. मेरा मानना है कि 3 तलाक को संविधान में मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत संरक्षण नहीं हासिल है.

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जस्टिस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर के फैसले के अंश- सुन्नी हनफ़ी वर्ग एक साथ 3 तलाक को मान्यता देता है. इसलिए ये अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के दायरे में आता है. हम अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्ति का इस्तेमाल करते हुए सरकार को निर्देश देते हैं कि वो 6 महीने में इस विषय पर कानून बनाए. तब तक हम मुस्लिम पुरुषों को तलाक ए बिद्दत का इस्तेमाल करने से रोक रहे हैं.

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