Zero Gravity Gym: अंतरिक्ष में क्यों हर रोज़ घंटों पसीना बहाते हैं अंतरिक्ष यात्री? इस तकनीक का करते हैं इस्तेमाल
गुरुत्वाकर्षण की गैर-मौजूदगी के कारण शरीर की मांसपेशियों पर ज़रूरी दबाव नहीं बनता जिससे उनका उपयोग कम हो जाता है और वे कमजोर होने लगती हैं. ISS में हल्की सी पकड़ या धक्का लगाने भर से शरीर इधर-उधर तैरने लगता है जिससे सामान्य चलने-फिरने वाली मेहनत भी नहीं होती.
छह महीने तक ISS में रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों की मिनरल डेंसिटी में औसतन 14% तक गिरावट देखी गई है. कुछ मामलों में तो यह 30% तक रही जिससे भविष्य में फ्रैक्चर जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है. वापसी पर कई अंतरिक्ष यात्रियों को क्रॉनिक पीठ दर्द जैसी समस्याएं होती हैं जिनके कारणों और इलाज पर अभी शोध जारी है.
गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण शरीर के द्रव नीचे की ओर नहीं बहते जिससे रक्त संचार और आंखों की रोशनी पर असर पड़ता है. हालांकि धरती पर लौटते ही यह सामान्य हो जाता है. पृथ्वी से करीब 408 किलोमीटर ऊपर ISS में भी एक जिम मौजूद है पर यह काफी अलग है. यहां का stationary bike बिना सीट के है क्योंकि वहां बैठने की जरूरत ही नहीं.
ट्रेडमिल में अंतरिक्ष यात्रियों को बांधने के लिए बंजी रस्सियां होती हैं ताकि वे तैरते न रहें. वज़न उठाने की मशीनों में विशेष वैक्यूम आधारित रेजिस्टेंस सिस्टम होता है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण नहीं है. अंतरिक्ष यात्री हर दिन औसतन 150 मिनट जिम में बिताते हैं ताकि उनके शरीर की सभी प्रमुख मांसपेशियां सक्रिय रहें और वे स्वस्थ लौट सकें.
हम अब भी अंतरिक्ष अन्वेषण के शुरुआती दौर में हैं. भविष्य में जब लंबी दूरी की यात्राएं, जैसे मंगल मिशन, शुरू होंगे, तो वहां शरीर को मजबूत बनाए रखना और भी अहम हो जाएगा. शोध बताते हैं कि बिना सही व्यायाम के, अंतरिक्ष यात्री इतनी कमजोरी महसूस कर सकते हैं कि वे अपनी ज़िम्मेदारियां निभा ही न सकें.
इसी को ध्यान में रखते हुए वैज्ञानिक भविष्य के अंतरिक्ष यानों में कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण और बेहतर जिम तकनीकें शामिल करने की योजना बना रहे हैं. नया स्पेस स्टेशन बनने तक, व्यायाम को अंतरिक्ष यात्रा का स्थायी और अनिवार्य हिस्सा माना जाएगा.