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किस टेक्नोलॉजी पर काम करता है मोबाइल सिग्नल जैमर? जानिए क्या कोई भी अपने घर में कर सकता है इस्तेमाल

एबीपी टेक डेस्क   |  05 Oct 2025 08:33 AM (IST)
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वीवीआईपी सुरक्षा के समय या संवेदनशील स्थलों पर अक्सर इन्हीं तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है ताकि अनचाही या खतरनाक कम्युनिकेशन को अस्थायी रूप से रोका जा सके.

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बहुत बार आप किसी आधिकारिक शॉर्ट-कन्वॉय में काली गाड़ियां देखते होंगे उनमें लगे डिवाइसों से इसी तरह की जैमिंग की जाती है ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. तकनीकी तौर पर जैमर पॉवरफुल हस्तक्षेप वाले सिग्नल भेजते हैं और मिलते-जुलते फ्रिक्वेंसी पर काम करने वाले डिवाइसों को नेटवर्क से काट देते हैं. इसलिए जिस जगह पर जैमर काम कर रहा होता है, वहां मोबाइल कनेक्टिविटी और वायरलेस सर्विसेज़ प्रभावित हो जाती हैं.

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जहां तक आम नागरिकों का सवाल है घर पर जैमर लगाना न सिर्फ गलत बल्कि कई देशों में गैरकानूनी भी है. इसका कारण यह है कि जैमर सार्वजनिक संचार सेवाओं को बाधित करता है और इससे दूसरों को गंभीर परेशानी हो सकती है.

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इमरजेंसी स्थितियों में मोबाइल कॉल जीवन बचाने वाला जरिया बन सकते हैं अगर किसी इलाके में जैमर चल रहा हो तो मदद पहुंचने में देरी हो सकती है. इसलिए अधिकांश नियम-कानूनों के मुताबिक जैमर केवल सुरक्षा या रक्षा विभागों और उन सरकारी संस्थानों को सीमित परिस्थितियों में इस्तेमाल की अनुमति होती है जिनके पास आधिकारिक मान्यता हो.

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यदि आप अपने घर की प्राइवेसी या सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, तो जैमर सही विकल्प नहीं है. बेहतर तरीका सुरक्षित वाई-फाई सेटअप, मजबूत पासवर्ड, टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन और आवश्यक होने पर स्थानीय सुरक्षा या कानून प्रवर्तन से संपर्क करना है. ऐसे कानूनी और तकनीकी तरीकों से आप अपनी प्राइवेसी और सुरक्षा बनाए रख सकते हैं बिना दूसरों की सेवाओं में बाधा डाले.

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