AI आपकी सोच पर काबू पा रहा? जानें कहीं आप AI साइकॉसिस के शिकार तो नहीं, एक्सपर्ट का बड़ा अलर्ट
डेनमार्क की आरहोस यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक सॉरेन ऑस्टरगार्ड ने अपनी रिसर्च में बताया कि AI चैटबॉट्स अक्सर ऐसे जवाब देते हैं जो सकारात्मक लगते तो हैं लेकिन कई बार वास्तविकता से दूर होते हैं. इससे मानसिक रूप से संवेदनशील यूजर्स की सोच और अधिक भ्रमित हो जाती है. स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने भी पाया कि कई चैटबॉट्स मानसिक बीमारियों से जुड़े गलत विश्वासों को अनजाने में बढ़ावा दे देते हैं जिससे परेशान लोगों की हालत और खराब हो सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि चैटबॉट्स यूजर की भाषा, भावनाओं और विचारों को ही दोहराना शुरू कर देते हैं. इससे एक तरह का इको चैंबर बन जाता है जहां उपयोगकर्ता की नकारात्मक सोच और अधिक गहरी हो जाती है. कुछ मामलों में तो ऐसा भी देखा गया कि मानसिक रूप से कमजोर लोग चैटबॉट्स से बातचीत करते-करते इतनी उलझन में आ गए कि वे गंभीर मानसिक विकारों, यहां तक कि आत्मघाती विचारों की ओर बढ़ गए.
कैलिफॉर्निया में हाल ही में 7 लोगों ने दावा किया कि ChatGPT की गलत प्रतिक्रियाओं ने उन्हें आत्महत्या जैसे कदमों को बढ़ावा दिया. अमेरिका में कई किशोरों की मौत को भी AI चैटबॉट से हुई बातचीत से जोड़ा गया है.
हालांकि, भारत में गुड़गांव की मनोवैज्ञानिक डॉ. मुनिया भट्टाचार्या का कहना है कि AI आधारित टूल हल्के तनाव, चिंता या अकेलेपन के दौर में अस्थायी सहारा दे सकते हैं, खासकर तब जब किसी इंसानी थेरपिस्ट तक पहुंच न हो. लेकिन गहरी मानसिक उलझनों, गंभीर अवसाद, आत्महत्या के विचार या साइकॉसिस जैसी स्थितियों में ये चैटबॉट्स मदद करने के बजाय और भी खतरनाक साबित हो सकते हैं.
विशेषज्ञों का मत है कि AI थेरपी को सिर्फ एक सपोर्ट टूल की तरह देखा जाना चाहिए न कि इंसानी थेरपिस्ट के स्थान पर. AI द्वारा दी गई सलाह हमेशा सटीक या सुरक्षित नहीं होती, इसलिए इसकी सीमाओं को समझना बेहद जरूरी है. शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि AI के मानसिक स्वास्थ्य में उपयोग से जुड़े जोखिमों पर और गहराई से रिसर्च की जरूरत है ताकि इसके इस्तेमाल के लिए सही दिशा-निर्देश और सुरक्षा मानक बनाए जा सकें.
AI का बढ़ता उपयोग मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में नए अवसर भी लाता है लेकिन इसके साथ जोखिम भी उतने ही बड़े हैं. इसलिए जरूरत है जागरूकता, सावधानी और विशेषज्ञ की सलाह की ताकि तकनीक का इस्तेमाल हमें मदद करे न कि नए खतरे पैदा करे.