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इंटरनेट यूज़र्स सावधान! Cookies एक्सेप्ट करने से होता है बड़ा खेल, जानिए कैसे होता है नुकसान

एबीपी टेक डेस्क   |  30 Sep 2025 08:30 AM (IST)
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कुकीज असल में छोटी-छोटी फाइलें होती हैं जो किसी वेबसाइट को आपके डिवाइस पर सेव कर दी जाती हैं. इनका काम है यह याद रखना कि आप उस वेबसाइट पर क्या कर रहे थे. मान लीजिए आपने कोई प्रोडक्ट शॉपिंग कार्ट में डाला था या भाषा हिंदी चुनी थी तो अगली बार जब आप उसी साइट पर जाएंगे तो कुकीज आपकी पसंद को याद रखकर अनुभव को आसान बना देंगी.

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कुकीज के अलग-अलग प्रकार होते हैं कुछ जरूरी होती हैं जो वेबसाइट को चलने लायक बनाती हैं, कुछ आपकी सेटिंग्स जैसे भाषा और लोकेशन को याद रखती हैं, कुछ आपके व्यवहार का डेटा जमा करती हैं और कुछ तो सिर्फ विज्ञापन दिखाने के लिए आपका पीछा करती रहती हैं.

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अब सवाल उठता है कि इन्हें एक्सेप्ट करना चाहिए या रिजेक्ट? अगर आप सभी कुकीज को स्वीकार करते हैं तो वेबसाइट पर आपका अनुभव स्मूथ हो जाता है और आपको बार-बार सेटिंग बदलने की जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन इसका नकारात्मक पहलू यह है कि कंपनियां आपकी ऑनलाइन गतिविधियों को ट्रैक करने लगती हैं और आपके हर मूवमेंट पर नज़र रखती हैं.

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दूसरी ओर, अगर आप सभी कुकीज रिजेक्ट कर देते हैं, तो आपकी प्राइवेसी तो सुरक्षित रहती है लेकिन वेबसाइट का इस्तेमाल थोड़ा मुश्किल हो सकता है क्योंकि वह आपकी पसंद या पिछली गतिविधियों को याद नहीं रख पाएगी.

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यूरोप में 2018 से लागू नियमों के कारण अब लगभग हर वेबसाइट पर यह पॉप-अप दिखता है. कई बार बार-बार पॉप-अप आने से लोग परेशान होकर तुरंत “accept all” पर क्लिक कर देते हैं. लेकिन समझदारी यही है कि बैलेंस बनाया जाए. जरूरी कुकीज को एक्सेप्ट करना वैसे भी अनिवार्य होता है क्योंकि उनके बिना वेबसाइट काम ही नहीं करेगी, लेकिन बाकी कुकीज को आप चाहें तो रिजेक्ट कर सकते हैं.

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बेहतर होगा कि आप महीने में एक बार अपनी कुकीज सेटिंग्स चेक करें और उन्हें क्लियर कर दें. साथ ही, अगर आपको विज्ञापनों और ट्रैकिंग से बचना है तो एडब्लॉकर जैसे टूल्स का इस्तेमाल करना फायदेमंद रहेगा. कुकीज पूरी तरह बुरी चीज नहीं हैं, बल्कि ये इंटरनेट अनुभव को आसान और तेज बनाती हैं. बस ज़रूरत है इन्हें समझदारी से इस्तेमाल करने की ताकि सुविधा और प्राइवेसी दोनों का संतुलन बना रहे.

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