मोबाइल नंबर वैलिडेशन नहीं करवाया तो फंस जाओगे! बैंक में अचानक रुक सकती है आपकी सर्विस, जानें क्या है नया नियम
इन बदलावों का सीधा फायदा यह होगा कि बैंक और अन्य सर्विस प्रोवाइडर मोबाइल नंबर की असलियत तुरंत परख सकेंगे और चोरी हुए मोबाइल फोन की खरीद–फरोख्त पर भी सख्ती से नजर रखी जा सकेगी. सेकेंड हैंड फोन बेचने वालों के लिए अब आईएमईआई जांच अनिवार्य बना दी गई है ताकि चोरी या फर्जी डिवाइस बाजार में न पहुंच सकें.
मोबाइल नंबर वैलिडेशन सिस्टम असल में एक सुरक्षित डिजिटल प्लेटफॉर्म है जहां किसी भी नंबर की जानकारी सीधे संबंधित टेलीकॉम कंपनी से वेरिफाई की जाती है. जब कोई नंबर MNV प्लेटफॉर्म पर दर्ज होता है तो ऑपरेटर उसकी वैधता जांचकर यह पुष्टि कर देता है कि नंबर सही व्यक्ति के नाम और इस्तेमाल में है या नहीं. इससे फर्जी सिम, गलत रजिस्ट्रेशन और साइबर अपराधों में इस्तेमाल होने वाले नंबरों की पहचान तुरंत हो जाती है.
पुराने या सेकेंड हैंड मोबाइल फोन की खरीद–फरोख्त में भी अब नए नियम लागू हो चुके हैं. हर फोन का आईएमईआई नंबर पहले जांचा जाएगा और यदि वह ब्लैकलिस्ट में पाया जाता है तो उसकी बिक्री गैरकानूनी मानी जाएगी. यह व्यवस्था चोरी के फोन्स के कारोबार को रोकने में बेहद अहम भूमिका निभाएगी. इसके साथ ही, MNV प्लेटफॉर्म से यह भी जाना जा सकेगा कि किसी व्यक्ति के नाम पर कितनी सिम चल रही हैं जिससे फर्जी सिम कार्ड बनवाने की संभावना काफी कम हो जाएगी.
बैंकिंग क्षेत्र में इस नियम का महत्व और बढ़ जाता है. मोबाइल नंबर की तुरंत और सटीक वैरिफिकेशन से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि बैंक खाता, म्यूचुअल फंड या अन्य संवेदनशील सेवाओं का इस्तेमाल वही व्यक्ति कर रहा है जिसके नाम पर मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड है. इससे उन मामलों पर अंकुश लगेगा जहां किसी दूसरे के नाम का नंबर इस्तेमाल कर धोखाधड़ी की जा रही थी.
सरकार का यह कदम देश में डिजिटल सुरक्षा को और मजबूती देने की दिशा में बड़ा फैसला माना जा रहा है. नई व्यवस्था लागू होने के बाद यूजर्स न सिर्फ अपने नाम पर जारी सभी सिम की जानकारी देख पाएंगे बल्कि साइबर फ्रॉड के मामलों में भी काफी कमी आने की उम्मीद है. कुल मिलाकर MNV प्लेटफॉर्म मोबाइल सुरक्षा और पारदर्शिता को एक नए स्तर पर ले जाने वाला कदम साबित हो सकता है.