Google को तगड़ा झटका, एंटीट्रस्ट केस में मिली हार, बेचना पड़ेगा Ad मैनेजर!
दरअसल, मामला गूगल के तीन अहम क्षेत्रों में कंट्रोल से जुड़ा है जिसमें पब्लिशर ऐड सर्वर, एडवर्टाइजर्स के लिए टूल्स और ऐड एक्सचेंज शामिल है. अदालत का मानना है कि गूगल ने इन सभी क्षेत्रों पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए जानबूझकर एंटी-ट्रस्ट रणनीतियां अपनाईं.
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की जज लियोनी ब्रिंकमा ने कहा कि अधिकतर वेबसाइटें गूगल के विज्ञापन सॉफ्टवेयर पर निर्भर हैं जिससे उन्हें कोई अन्य विकल्प नहीं बचता. गूगल पर यह भी आरोप है कि उसने ग्राहकों पर अनुचित नीतियां थोपीं और अपने प्रोडक्ट्स की जरूरी विशेषताओं को हटा दिया जिससे वह अपने एकाधिकार को और मजबूत कर सके.
हालांकि गूगल के पास इस फैसले को अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प मौजूद है. यह पहला मौका नहीं है जब गूगल को इस तरह के आरोपों का सामना करना पड़ा है. इससे पहले भी कई देशों में उस पर जुर्माने लगाए जा चुके हैं.
गूगल अपने लोकप्रिय फ्री सर्विसेज जैसे Gmail, Maps और Search के ज़रिए ऑनलाइन विज्ञापनों को बढ़ावा देता है. वर्ष 2024 में अल्फाबेट की कुल कमाई 350 अरब डॉलर रही जिसमें से लगभग 75% हिस्सा विज्ञापनों से आया.
हालांकि, इस पूरे राजस्व में गूगल नेटवर्क का योगदान केवल 8.7% रहा. अब जब अदालत ने यह माना है कि गूगल का इस क्षेत्र पर अनुचित और अवैध नियंत्रण है तो अगला कदम यह होगा कि कोर्ट यह तय करे कि इस पर क्या कार्रवाई की जाए.
सरकारी पक्ष चाहता है कि कम से कम गूगल ऐड मैनेजर को कंपनी से अलग किया जाए जो नेटवर्क ग्रुप का हिस्सा है. यह सेवा साल 2020 में गूगल की आय में 4.1% और मुनाफे में केवल 1.5% का योगदान दे रही थी. हालांकि, हालिया आंकड़े अदालत में पेश किए गए दस्तावेज़ों में छिपा दिए गए हैं.