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भारत की इस हाइपरसोनिक मिसाइल को देख छूट जाएंगे चीन और पाकिस्तान के पसीने, इस तरह करती है दुश्मन का सफाया

एबीपी टेक डेस्क   |  10 Jun 2025 03:48 PM (IST)
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रुद्रम-2 को सबसे पहले हाई-लेवल की टेस्टिंग में सफलता मिली है. मई 2024 में ओडिशा तट से सुखोई-30MKI विमान से इसकी टेस्टिंग की गई थी जो सफल रही. इसे जल्द ही वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जा सकता है. यह मिसाइल रूसी Kh-31 की जगह लेगी.

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वहीं रुद्रम-3 का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है. इसके लिए एमेया प्रिसिजन इंजीनियर्स को आवश्यक पुर्जों की आपूर्ति का आदेश भी दिया गया है. इसके फ्लाइट ट्रायल 2026 तक पूरे होने की संभावना है और इसके तुरंत बाद इसे भी सेवा में लाया जाएगा.

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रुद्रम-4 पर काम 2025 की शुरुआत में शुरू किया गया है. यह मिसाइल लंबी दूरी तक मार करने वाली क्रूज़ मिसाइल होगी, जिसकी रेंज शुरुआती रिपोर्ट्स में 300 किमी बताई गई थी लेकिन अब यह बढ़कर 1000 किमी से अधिक मानी जा रही है. इसे सबसोनिक गति में बनाया जाएगा ताकि यह दुश्मन की नजरों से बचकर अंदर तक घुस सके.

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रुद्रम-3 भारत की हाइपरसोनिक क्षमताओं का प्रतीक है. यह मिसाइल Mach 5 से अधिक की स्पीड हासिल कर सकती है और इसकी डिजाइन में 16 कंट्रोल सरफेस लगाए गए हैं ताकि यह अत्यधिक गति पर भी दिशा बदल सके. इसका सेमी-बैलिस्टिक फ्लाइट पैटर्न इसे दुश्मन के रडार से बचने की क्षमता देता है.

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इसके मुकाबले रुद्रम-4 की रणनीति अलग है. इसे बेहद लंबी दूरी तक उड़ने और दुश्मन की सीमा के भीतर गहराई तक घुसने के लिए सबसोनिक क्रूज मिसाइल के रूप में डिजाइन किया जा रहा है जिससे इसे ज्यादा समय तक हवा में रहकर सटीक हमले करने की ताकत मिलेगी.

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रुद्रम सीरीज का मुख्य उद्देश्य दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को खत्म करना है. रुद्रम-2 में एक पासिव होमिंग सिस्टम है जो दुश्मन के रडार की रेडियो तरंगों को पहचानकर उस पर हमला कर सकता है. यह सिस्टम 100 किमी से भी अधिक दूरी से लक्ष्य की पहचान कर सकती है.

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रुद्रम-3 में इससे भी हाई डुअल-सीकर टेक्नोलॉजी होगी जो जटिल युद्ध स्थितियों में भी रडार और अन्य टारगेट्स पर हमला करने में सक्षम होगी. इसकी 550 किमी की रेंज इसे दुश्मन की सीमा के भीतर से भी कार्रवाई में सक्षम बनाती है.

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रुद्रम मिसाइलें केवल रडार सिस्टम को ही नहीं, बल्कि दुश्मन के बंकर, मुख्यालय और संचार केंद्रों जैसे रणनीतिक ठिकानों को भी नष्ट कर सकती हैं. रुद्रम-3 का एक वेरिएंट 200 किलो के PCB वारहेड के साथ आएगा, जो जमीन में छिपे मजबूत ठिकानों को भी तहस-नहस कर सकता है. GPS और INS जैसे आधुनिक नेविगेशन सिस्टम इसे किसी भी परिस्थिति में लक्ष्य भेदने लायक बनाते हैं.

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