चीन-पाकिस्तान अब थरथर कांपेगा! एयरफोर्स की ये फ्यूचर वेपन तकनीक है बेहद खतरनाक, जान लीजिए
अब तो स्थिति यह है कि भारतीय वायुसेना दुश्मन की सीमा में प्रवेश किए बिना ही उसके ठिकानों को तबाह करने में सक्षम है. लेकिन युद्ध का स्वरूप और उसकी तकनीक लगातार बदल रही है. इसी वजह से भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने आने वाले पंद्रह सालों में वायुसेना की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए एक बड़ी योजना बनाई है, जिसके तहत अरबों रुपये के अत्याधुनिक हथियार और तकनीकी उपकरण खरीदे जाएंगे.
इस योजना में सबसे खास है स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप, जिनकी संख्या बीस से कम नहीं होगी. ये आकाश में तैरते हुए रियल टाइम कम्युनिकेशन और खुफिया जानकारी जुटाने का काम करेंगे, जिससे एयरफोर्स की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी. इनके अलावा पांच मल्टीबैंड रेडियो फ्रिक्वेंसी सेंसर सैटेलाइट और तीन सौ से अधिक ऐसे ड्रोन की आवश्यकता होगी जो तीस हजार फीट से भी ऊपर 24 घंटे लगातार उड़ान भर सकें.
इसी कड़ी में पचहत्तर हाई एल्टीट्यूड स्यूडो सैटेलाइट की भी ज़रूरत है जो समताप मंडल में 18 से 22 किलोमीटर की ऊंचाई पर मिशन पूरे कर सकते हैं. वायुसेना को सौ से ज्यादा ऐसे एयरक्राफ्ट भी चाहिए होंगे, जो HALE और VTOL जैसी तकनीक से दूर से संचालित किए जा सकें. इसके साथ ही आने वाले दिनों में टैक्टिकल हाई एनर्जी लेज़र सिस्टम भी युद्ध का अहम हिस्सा बनने वाले हैं, जिन्हें खरीदने की तैयारी शुरू हो चुकी है.
इतना ही नहीं, भविष्य की लड़ाइयों में स्टील्थ अन्मैंड कॉम्बैट एयरियल व्हीकल (UCAV) की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण होगी. इसी वजह से वायुसेना के लिए डेढ़ सौ से ज्यादा UCAV की आवश्यकता बताई जा रही है. इनके साथ-साथ हाई पॉवर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेपन सिस्टम, ढाई सौ से अधिक एंटी-स्वार्म ड्रोन सिस्टम और बीस से ज्यादा डायरेक्टेड एनर्जी वेपन भी शामिल होंगे. ये सभी हथियार भारत को ऐसी क्षमता देंगे जिससे वह अंतरिक्ष और आकाश से युद्ध लड़ते हुए दुश्मनों को दूर से ही मात दे सके.
इस तरह भारत की वायुसेना अगले दशक और उससे आगे के लिए पूरी तरह तैयार हो रही है. आने वाले समय में जब एयरशिप, UCAV, हाई एनर्जी लेजर और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेपन सिस्टम जैसे अत्याधुनिक हथियार उसके पास होंगे, तब यह कहना गलत नहीं होगा कि चीन और पाकिस्तान के लिए रातों की नींद उड़ना तय है.
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