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चीन-अमेरिका ने AI से मचाया तहलका, जानें कहां तक पहुंची भारत की तैयारी?

एबीपी टेक डेस्क   |  24 Apr 2025 10:08 AM (IST)
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दरअसल, भारत सरकार ने 'IndiaAI Mission' के तहत स्वदेशी AI मॉडल विकसित करने की तैयारी कर ली है. इस मिशन को मार्च 2024 में 10,372 करोड़ रुपये के बजट के साथ मंजूरी दी गई थी. वित्त वर्ष 2024-25 में इसके लिए 551.75 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव दोनों ने इस मिशन का ज़िक्र अपने संबोधन में किया. यह मिशन खासकर भारतीय भाषाओं के लिए स्थानीय AI समाधान विकसित करने पर केंद्रित है.

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ऐसे AI मॉडल जिनका निर्माण किसी खास देश में हुआ हो, वे उस देश से जुड़ी जानकारी में पक्षपाती हो सकते हैं. इसलिए भारत के लिए अपना AI बनाना ज़रूरी है ताकि भारतीय मुद्दों और भाषाओं पर आधारित निष्पक्ष समाधान मिल सकें. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को AI की मूल तकनीक (Foundation Model) खुद विकसित करनी चाहिए, जबकि कुछ का सुझाव है कि पहले से बने विदेशी मॉडल्स का इस्तेमाल ही बेहतर होगा. लेकिन लंबे समय के हिसाब से देखा जाए तो स्वदेशी AI मॉडल ज़रूरी माना जा रहा है.

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AI के लिए Large Language Model (LLM) तैयार करने की प्रक्रिया में भारी मात्रा में डेटा और पावरफुल GPU (Graphics Processing Unit) की आवश्यकता होती है. भारत भी इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. सरकार ने 10 कंपनियों को चुना है जो कुल 18,693 GPU इकाइयां मुहैया कराएंगी. इनमें Yotta, Jio Platforms, Tata Communications जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल हैं. Yotta अकेले ही 9,216 GPUs देने का प्रस्ताव दे चुकी है.

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इंफोसिस के पूर्व CEO विशाल सिक्का ने OpenAI में संभावनाएं सबसे पहले देखीं. 2015 में उन्होंने OpenAI में निवेश की बात की थी और भविष्य में AI को गेमचेंजर बताया था. उन्होंने 2017 में इस्तीफा देते समय भी AI की शक्ति के बारे में बताया था.

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सरकार अगले 4 से 8 महीनों में अपना पहला AI फाउंडेशन मॉडल पेश करने की योजना पर काम कर रही है. इसके लिए 6 डेवलपर्स से बातचीत चल रही है. हालांकि इन कंपनियों के नाम और लागत का खुलासा अभी नहीं किया गया है.

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