अपनों की आवाज़ में ठगी का जाल! AI से बना नकली बेटा, खाली करवा दिए बैंक अकाउंट
बिना देर किए चावला दंपति ने 50,000 रुपये ट्रांसफर कर दिए. लेकिन जब दूसरी बार 2 लाख की डिमांड आई तो उन्हें शक हुआ. उन्होंने तुरंत परिवार से संपर्क किया और पता चला कि कपिल तो सुरक्षित घर पर ही था. असल में ये एक AI वॉयस क्लोनिंग फ्रॉड था जिसमें AI तकनीक की मदद से कपिल की नकली आवाज तैयार कर धोखाधड़ी की गई.
मुंबई निवासी केटी विनोद को एक दिन दुबई में स्थित भारतीय दूतावास से कॉल आने का दावा किया गया. फोन पर थोड़ी ही देर में उन्होंने अपने बेटे अमित की घबराई हुई आवाज़ सुनी, “पापा, मुझे यहां से निकालो.” घबराकर उन्होंने तुरंत 80,000 रुपये भेज दिए. बाद में सच्चाई सामने आई कि उनका बेटा तो घर पर ही सुरक्षित था और वह आवाज़ AI की मदद से तैयार की गई थी.
AI वॉयस क्लोनिंग आजकल साइबर ठगी का नया और खतरनाक हथियार बन चुका है. AIPRM की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह तकनीक 2024 की सबसे तेजी से फैलने वाली स्कैम ट्रिक बन गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, केवल 3 सेकंड की आपकी आवाज रिकॉर्डिंग से ही आपकी हूबहू आवाज़ तैयार की जा सकती है. AIPRM के संस्थापक क्रिस्टोफ सेंपर बताते हैं कि ज्यादातर लोग नकली और असली आवाज में फर्क नहीं कर पाते.
अगर कॉल करने वाला खुद को कोई करीबी बताता है तो उससे कोई ऐसा सवाल पूछें जिसका जवाब सिर्फ वही जानता हो. अपने करीबी लोगों के साथ पहले से एक कोडवर्ड तय कर लें, जिसे सुनकर आप पहचान सकें कि कॉल असली है. क्लोन की गई आवाज़ को स्कैमर्स कम समय के लिए इस्तेमाल करते हैं ताकि शक न हो.
अगर किसी संस्था या जान-पहचान वाले के नाम पर कॉल आए, तो कॉल काटकर उसी व्यक्ति को उसकी ऑफिशियल या सेव की गई आईडी से कॉल करें. अनजान लोगों को वॉयस नोट्स या “हैलो” जैसे शब्द भेजने से बचें क्योंकि ये आपकी आवाज की नकल के लिए काफी होते हैं.