Kahi Masane Ki Holi: काशी में रंग- गुलाल से नहीं चिताओं की भस्म से खेली जाती है होली, देखें तस्वीर
Kashi Masane Ki Holi 2024: रंगों का त्योहार अब कुछ ही दिनों में आने वाला है, लेकिन अभी से ही लोग होली के रंग में रंगे दिख रहे हैं. खासतौर पर वाराणसी में होली की धूम मची है. यहां अनोखी होली खेली जाती है. वाराणसी में होली चिताओं की भस्म से खेली जाती है. बाबा विश्वाथ की नगरी काशी में मनने वाली मसाने की होली काफी विचित्र होती है.
वाराणसी की हर परंपरा अलग होती है, अनूठी मानी जाती है. इस परंपरा की एक मिसाल होली के भी मौके पर तब देखने को मिलती है जहाँ धधकती चिताओं के बीच लोग होली के हुड़दंग में मशगूल रहते हैं.
वाराणसी के विश्व प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट पर भस्म की होली खेली जाती है. एक तरफ चिताएं जलती है तो दूसरी तरफ लोग ढोल नगाड़ों के थाप पर भस्म की होली खेलते हैं.
इस मौके पर गुलाल नहीं बल्कि चिताओं के राख को एक दूसरे के गालों पर लगाया जाता है. सालों से चली आ रही इस परंपरा का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है.
इस खास मौके के लिए काशी के साथ-साथ देशभर के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं . इस उत्सव में सबसे पहले बाबा मसान नाथ की विधिवत पूजा होती है.
उनकी आज्ञा लेकर शिव के गढ़ के रूप में मौजूद बड़ी संख्या में होलियारे महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पहुंचते हैं.
आज इसी मौके पर लाखों की संख्या में लोग मणिकर्णिका घाट पहुंचे और कहा जा रहा है कि 21 कुंतल भस्म से लोगों ने आज मसाने की होली खेली .