विधानसभा चुनाव 2027 में बीजेपी नहीं दोहराएगी ये गलतियां! 12 प्वाइंट्स में समझें नई रणनीति
यूपी में बीजेपी की हार की समीक्षा की रिपोर्ट आ गई है जिसमें हार की कई वजहें बताई गई हैं, जिसके बाद पार्टी अलर्ट हो गई है और अब माना जा रहा है कि दोबारा ये गलतियां नहीं दोहराएगी.
विपक्ष ने इस चुनाव में संविधान संशोधन और आरक्षण को मुद्दा बनाया जिसका ख़ामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा. समीक्षा रिपोर्ट में भी संविधान संशोधन पर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी को बड़ी वजह बताया गया है.
लोकसभा चुनाव से पहले यूपी पुलिस भर्ती में पेपर लीक के मुद्दे ने भी पार्टी को नुक़सान पहुंचाया, जिसके बाद योगी सरकार ने इस पर सख्ती दिखाई है.
सरकारी विभागों में संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मुद्दे की वजह से बड़ी संख्या में लोग बीजेपी से कटे, ऐसे में सभी वर्गों को फिर से जोड़ा जाएगा.
बीजेपी के कार्यकर्ताओं में सरकारी अधिकारियों को लेकर असंतोष की भावना रही है. जिसकी वजह से कार्यकर्ताओं का रवैया उदासीन रहा.
सरकारी अधिकारियों का भाजपा कार्यकर्ताओं को सहयोग नहीं मिला, जिसके वजह से निचले स्तर पर पार्टी में विरोध देखने को मिला, पार्टी इस असंतोष को कम करने में जुट गई है.
बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में बीजेपी समर्थक मतदाताओं के नाम सूची से नाम हटाए गए. जिस पर भी अब ध्यान दिया जाएगा.
कार्यकर्ताओं का मानना है कि टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई जिसकी वजह से भी नेताओं और कार्यकर्ताओं उत्साह कम हुआ.
राज्य सरकार के प्रति भी थाने और तहसीलों को लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखने को मिली. चुनाव से पहले इस नाराजगी को दूर किया जाएगा.
चुनाव में बीजेपी को कोर वोटबैंक रहे ठाकुर मतदाता भाजपा से दूर चले गए. जिन्हें फिर से मनाजा जाएगा.
2014 और 2019 में बड़ी संख्या में पिछड़ों में कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य बीजेपी के साथ आए लेकिन इस बार उनका झुकाव कम हुआ है. जिसे फिर से साधने की कोशिश की जाएगी.
गैर जाटव अनुसूचित जातियों में पासी व वाल्मीकि मतदाता का झुकाव सपा-कांग्रेस की ओर चला गया. और.. बसपा के प्रत्याशियों ने मुस्लिम व अन्य के वोट नही काटे. ऐसे में पार्टी को नई रणनीति बनानी होगी.