Ghaziabad News: अब देश के लिए वर्ल्डकप खेलेगा किराने की दुकान चलाने वाले का बेटा, ये कहानी सुन आप इमोशनल हो जाएंगे
Ghaziabad News: सच्चे मन से मेहनत, सही दिशा में प्रयास और लगन हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है गाजियाबाद के रहने वाले सिद्धार्थ यादव ने. 16 साल के कड़ी मेहनत और ना टूटने वाले हौसले के साथ कोशिश की तो आज सिद्धार्थ यादव कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ने लगे हैं. दरअसल हम बात कर रहे हैं हाल ही में भारत की अंडर-19 क्रिकेट टीम में अपनी जगह पक्की करने वाले क्रिकेटर सिद्धार्थ यादव की. सिद्धार्थ को क्रिकेटर बनाने का सपना 16 साल पहले उनके पिता श्रवण कुमार यादव ने देखा था और उसे आज पूरा किया है उनके बेटे सिद्धार्थ ने. चलिए बताते हैं आपको पूरी कहानी....
सिद्धार्थ के पिता ने बताया कि वह खुद भी देश के लिए खेलना चाहते थे वह खुद जिमनास्टिक करते थे और उनकी ख्वाहिश थी कि वह अपने देश के लिए खेले, उसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को क्रिकेटर बनाने की ठान ली और रोज दिन में 2:00 बजे अपनी दुकान बंद कर दिए सिद्धार्थ को 2:00 बजे से 5:00 बजे तक स्टेडियम में क्रिकेट खिलाने ले जाया करते थे.
बता दें कि अंडर -19 क्रिकेट वर्ल्ड कप का आयोजन 14 जनवरी से वेस्टइंडीज में होगा. जिसके लिए भारत ने अपने 17 सदस्यों की टीम का ऐलान कर दिया है.
सिद्धार्थ के पिता गाज़ियाबाद के कोटगांव में एक किराने की दुकान चलाते है और मूल रूप से सुल्तानपुर के रहने वाले हैं. लेकिन लम्बे समय से वो और उनका पूरा परिवार गाज़ियाबाद में ही रहता है.
अपने बेटे सिद्धार्थ की कामयाबी पर खुशी के साथ भावुक होते हुए श्रवण कुमार ने कहा कि यकीन नहीं होता कि हमारा सपना पूरा हो रहा है. बेटा वर्ल्ड कप खेलने जा रहा है तो ये सपने जैसा लग रहा है.
सिद्धार्थ की बहन ने कृतिका ने बताया वो एक इमोशनल इंसान है, वह जब भी अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाते तो सबसे पहले अपनी बहन को फोन करके बताते हैं, वही उनकी मां ने एबीपी से बात करते हुए कहा की सिद्धार्थ का लगाव सबसे ज्यादा उनके पिता के साथ है.
वहीं सिद्धार्थ की इस कामयाबी पर उनके पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. सिद्धार्थ की की मां ने एबीपी से बात करते हुए कहा कि बीते 16 सालों में उनका कोई निजी जीवन नहीं रहा, उन्होंने और उनके पति ने मिलकर सिर्फ और सिर्फ सिद्धार्थ पर ध्यान दिया.
बचपन की कहानी का जिक्र करते हुए सिद्धार्थ की मां ने बताया कि सिद्धार्थ की उम्र महज 4 साल थी, और ठंड के दिन थे उनके पिता स्कूटर पर बैठा के सिद्धार्थ को स्टेडियम दिखाने ले गए थे इस बात पर उनके दादा जी नाराज हो गए कि आखिर ऐसी भी क्या ज़िद जिसकी वजह से बच्चे को सुबह-सुबह इतनी ठंड में स्टेडियम दिखाने ले गए. वहीं उनकी दादी की भी शिकायत रहा करती थी कि सिद्धार्थ को पढ़ने पर ध्यान देना चाहिए.