In Pics: बूंदी को कहा जाता है 'धान का कटोरा', 1800 करोड़ की है चावल इंडस्ट्री, खाड़ी देशों में होता है एक्सपोर्ट
राजस्थान के बूंदी धान का कटोरा में कहा जाता है. यहां बड़ी संख्या में किसान धान की पैदावार करते हैं. इस बार भी मानसून में अच्छी बारिश होने से किसान धान की उपज करने में जुटे हुए हैं. अधिकतर जगहों पर किसान ने धान की उपज कर दी है.
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार धान का आंकड़ा 2 गुना तक बढ़ गया है. पिछली बार धान का रकबा 56 हजार हुआ था इस बार बढ़कर 67 हजार हेक्टेयर हो गया है. बूंदी का चावल विदेश में भी एक्सपोर्ट है. जिसमें बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश शामिल हैं. धान की उपज पूरी तरह से खेतों में लग चुकी है. अब लगातार बारिश होने से दाना अंकुरित होगा और कुछ ही महीनों में धान की उपज खेतों में लहराती हुई नजर आएगी. किसानों ने बताया कि धान की फसल को अच्छा पानी मिल रहा है और पैदावार अच्छी होगी तो दाम भी अच्छे मिलेंगे.
इस बार धान बुआई का लक्ष्य 67 हजार हैक्टेयर है. वर्ष-2021 में यह 56581 हैक्टेयर था. सबकुछ ठीक रहा तो इस बार 2.35 लाख मीट्रिक टन धान की पैदावार की उम्मीद है. वर्ष 2021 में 2 लाख 1 हजार 176 मीट्रिक टन धान पैदा हुआ था. इस फसल की पैदावार करने के लिए बिहार से हर साल औसतन 5000 मजदूर बूंदी में धान की बुआई करने आते हैं, इस बार एक बीघा में बुआई की रेट प्रति मजदूर 1550 रुपए है. जबकि जिले में धान की खेती से करीब 46 हजार किसान जुड़े हैं, यानी करीब दो लाख लोग धान की खेती से जुड़े हैं. धान की फसल पैदावार होने के बाद सालाना बूंदी में चावल का कारोबार औसतन 1800 करोड़ रुपए का है. इसमें 1400 करोड़ से ज्यादा का चावल एक्सपोर्ट होता है. अप्रत्यक्ष रूप से मंडी, हैंडलिंग सहित अन्य 6 हजार लोगों को भी रोजगार मिलता है.
बूंदी चावल इंडस्ट्री से जुड़े राजेश तापड़िया ने बताया कि अच्छा मानसून पिछली बार रहा था, अच्छे दाम मिले थे तो इस बार किसानों ने पैदावार भी अच्छी की है. पिछले साल 52 लाख बोरियों का उत्पादन हुआ था और अब इस बार चावल इंडस्ट्री ने उम्मीद जताई है कि 80 लाख के आसपास चावल की बोरियों का उत्पादन होगा. उत्पादन होने के बाद बूंदी मंडी में किसान धान की फसल बेचने पहुंचते हैं उनके साथ हाड़ौती सहित मध्य प्रदेश के किसान भी आते हैं. बूंदी की मंडी राजस्थान की सबसे बड़ी मंडी कहलाई जाती है जिसमें धान का भाव 2 से 300 रुपये ऊपर मिलता है. तो ऐसे में किसानों का रुझान यहां अच्छा दिखाई देता है. सीजन में 2 से 3 लाख बोरी रोज मंडी में पहुंचती है.
राजेश तापड़िया ने बताया कि बूंदी में पानी की अच्छी आवक होने के चलते शुरू से ही धान की अच्छी आवक होती हुई आई है. लगातार बूंदी में राइस मिल की संख्या भी बढ़ती जा रही है. बूंदी में सभी किस्म का चावल पैदा होता है. और हम एक साथ राजस्थान, पंजाब, हरियाणा के चावल इंडस्ट्री मिलकर विदेशों में सरकार के माध्यम से एक्सपोर्ट करते हैं. अगर राज्य व केंद्र सरकार की तरफ से बूंदी की चावल इंडस्ट्री पर ध्यान दिया जाए तो 1800 करोड़ वाली इस चावल इंडस्ट्री को 5000 करोड़ की चावल इंडस्ट्री बनाया जा सकता है. बड़ी संख्या में चावल का उत्पादन होने के बावजूद भी यहां रेलवे कनेक्टिविटी मजबूत नहीं है. ना ही सरकार की ओर से राइस मिल्स वालों को कोई सुविधा उपलब्ध करवाई गई है. राइस मिल अपने संसाधनों से ट्रकों के माध्यम से बंदरगाहों पर अपना माल पहुंचाते हैं.