Udaipur News: राज्य तितली घोषित होंगी राजस्थान की तितलियां, उदयपुर में 100 से ज्यादा प्रजातियां
तितलियों के संरक्षण के लिए राजस्थान ने अपनी राज्य तितली घोषित करने की कवायद शुरू कर दी है. इसके लिए आवेदन भी मांगे गए हैं. राजस्थान में स्टेट एनिमल ऊंट और स्टेट बर्ड गोडावण घोषित करने के बाद तितली को घोषित करने जा रहा है.
वन और पर्यावरण विभाग के प्रमुख शासन सचिव शिखर अग्रवाल ने गत दिनों उदयपुर में प्रदेश के पहले बर्ड पार्क के उद्घाटन के मौके पर बताया कि पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण में तितलियों का अपना योगदान है. अब पशु और पक्षियों की तरह ही तितलियों का संरक्षण जरूरी है. विभाग के इस कदम से राजस्थान में बटरफ्लाई टूरिज्म और रोजगार की संभावनाएं बढ़ेगी. उदयपुर में प्रदेश का पहला बटरफ्लाई पार्क भी बनने जा रहा है. इससे तितलियों का संरक्षण तो बढ़ेगा ही साथ मे पर्यटन भी आएंगे.
तितलियों के विशेषज्ञ मुकेश पंवार ने बताया कि उदयपुर संभाग में प्रदेश का सबसे बड़ा जंगल एरिया है, जहां 100 से ज्यादा तितलियों की प्रजाति पाई जाती है. जबकि प्रदेशभर में 114 तरह की तितलियां पाई जाती हैं. राष्ट्रीय तितली बनने के लिए आवेदन मांगे गए थे, तब उदयपुर में पाई जाने वाले कॉमन जेजेबेल या इंडियन जेजेबेल तितली का नाम भेजा गया था. यह तितली काफी खूबसूरत होती है. यह अपना जीवनचक्र डेण्ड्रोफ्थोए फाल्काटा वनस्पति पर पूरा करती है.
ये वनस्पति घने जंगलों के पुराने पेड़ों पर ही ज्यादा पाई जाती है. जैसे सागवान, हर, तेंदू, सारल, गोंदल, पलाश आदि वृक्षों के ऊपर ही परजीवी के रूप में रहती हैं. अतः इस एक तितली के संरक्षण के लिए इन अनेकानेक वृक्ष और वन क्षेत्रों के संरक्षण की भी पहल कर सकते हैं.
चलिए अब तितलियों के जीवनकाल के बारे में जानते हैं: 1. अंडा (एग) - तितली का जीवन अंडे से शुरू होता है जो मादा तितली देती है. 2. लार्वा (केटरपीलर) - अंडे से लार्वा निकलता है जो कोमल पत्तियों या फूल खाते हैं. ये शरीर का आकार बढ़ाने में लगभग 5 बार तक उपरी धर्म त्याग कर नया और बड़ा खोल धारण करते हैं. जिन्हें इन्सटार कहा जाता है. 3. प्यूपा लार्वा के अंतिम इन्सटार के बाद प्यूपा या काइसेलिस बनता है. प्यूपा न तो चलता फिरता है न कोई भोजन करता है. ये टहनी या पत्नी से चुपचाप चिपका रहता है. 4. वयस्क (तितली) - प्यूपा के भितर तितली का पूर्ण रूपान्तरण हो जाने पर प्यूपा की त्वचा फटकर खुल जाती है और एक सुन्दर सी तितली बाहर आती है, और घिरे-घिरे पंख खोलती है.
क्यों जरूरी है तितलियां: 1. तितलियों और उनकी प्रजातियों की संख्या उस क्षेत्र के पर्यावरण के स्वास्थ्य का प्रतिक है. 2. तितलियां पराग सेवन (पालिनेशन) करती है जिससे पौधों की संख्या और उपज बढ़ती है. 3. तितलियों की जातियों के अनुसार उनके लार्वा के भोज्य पौधे और वयस्कों के रस पीने के लिए फूल या वनस्पती अलग-अलग हो सकते हैं. इनके सरंक्षण के लिए स्थानीय वनस्पती और वनों की सुरक्षा करनी चाहीए. 4. ये स्थानीय पर्यावरण में खाद्य श्रृंखला की अहम कड़ी है.