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World Tourism Day: अब पर्यटन में भी आगे होगा कोटा, चंबल रिवर फ्रंट से लेकर टाइगर रिजर्व तक जानें क्या-क्या है यहां

दिनेश कश्यप, कोटा   |  27 Sep 2022 12:50 PM (IST)
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कोटा पर्यटन हब के रूप में विकसित होता जा रहा है, नए स्थान नई पहचान दिला रहे हैं, पर्यटन मानचित्र पर कोटा का सितारा चमकता जा रहा है, हाडोती में पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाएं तलाशी जा रही है और तराशी जा रही हैं, जिस तरह से विकास हो रहा है यहां के चौराहे, पुराने किले, दरवाजे, सहित पुरानी इमारते अब नए रूप में आधुनिकता के रंग लिए हुए दिख रही हैं. रिवर फ्रंट को ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में देखा जा रहा है, कोटा का पर्यटन का मुख्य आधार चंबल है, पर्यटन के विकास के रास्ते इसी पर होकर से निकलते हैं, इसकी खूबसूरती विलक्षण है, नदी किनारे गराडिया जैसा खूबसूरत स्थान कहीं दुनिया में देखने को नहीं मिलेगा, चौराहे भी अपने आप में पर्यटकों को लुभाने के लिए तत्पर हैं.

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मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व जहां पर टाइगर की अठखेलियां देखी जा सकेगी, एडवेंचर, रामगढ़ टाइगर रिजर्व पर्यटन की दृष्टि से मिल का पत्थर साबित होगा. सिटी पैलेस, क्षारबाग, म्यूजियम, किशोर सागर, जगमंदिर, बड़ा महल, कलाकृतियों को समेटे छतरियां, हवेलियां, शिल्पकार की अद्भुत मिसाल है. इसके साथ ही कोटा में गार्डन देश दुनिया के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं. देश के अन्य गार्डनों से यहां के गार्डन बेहद अलग हैं. जिसमें ऑक्सीजोन जो स्टूडेंट के टेंशन को कम करता है, शहर की हवा को ताजा रखता है, पक्षियों की अनगिनत प्रजातियां यहां हैं. इसके अलावा कई और सुकुन देने वाले स्थल यहां हैं.

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कोटा में पहले देशी विदेशी पर्यटकों का अभाव था जो अब निरंत बढ़ता जा रहा है. फिल्मी हस्तियां भी अब कोटा की ओर रुख करने लगी हैं. शूटिंग के लिए अगर कुछ खास है तो चंबल गार्डन, शिवाजी पार्क, गणेश उद्यान, सेवन वंडर, किशोर सागर, घटोत्कच्छ सर्किल, चम्बल रिवर फ्रंट, ग्रामीण लोक संस्कृति, कोटा डोरिया और कोटा की कोचिंग फिल्मों की शूटिंग के लिए खास है. यहां बद्री नाथ की दुल्हिनियां, मर्दानी टू, क्राइम पेट्रोल सहित अनगिनत फिल्म और नाटकों की शूटिंग हो चुकी है. साथ ही विज्ञापन, वेब सीरीज भी यहां निरंतर चल रही है. चंबल का सौंदर्यकरण, पुरानी इमारतें भी यहां आकर्षित करती है.

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शिक्षा नगरी कोटा का अब पर्यटन नगरी बनने का सपना साकार होने जा रहा है. आने वाले सालों में कोटा प्रदेश में पर्यटन के मानचित्र पर शीर्ष पर नजर आएगा क्योंकि पर्यटकों की आकर्षित करने के लिए हाडोती की धरा पर सब कुछ है, अपार जल, अद्वितीय जंगल, हरियाली की चादर औढे जमीन यहां तक की विरासत, शिक्षा और शालीनता के लिए कोटा जाना जाता है. वन्यजीवों की साइटिंग पर रोमांचित करने वाले दृश्य, तो चंबल सफारी कर चंबल के सौंदर्य से आकर्षित होंगे, टाइगर रिजर्व, कोचिंग देश, दुनिया में आकर्षण का केंद्र होगा. जानकारों का कहना है कि रिवरफ्रंट पर्यटन को लेकर एक ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में स्थापित होगा. यह सब मिलाकर पर्यटन नगरी की पहचान दिलाने के लिए उद्वेलित हैं.

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कोटा में एजुकेशन टूरिज्म के तहत हर 2 लाख विद्यार्थी कोचिंग करने यहां आते हैं. साथ ही उनके अभिभावक अलग हैं. इससे शहर को प्रतिमाह करोड़ों की आय हो रही है, कोटा की अर्थव्यवस्था को संचालित करने में गत वर्षों से कोचिंग के छात्रों का खासा योगदान है. कोटा में आकर पढ़ाई करने वाले बच्चों के साथ अभिभावकों का आना जाना भी लगा रहता है. शहर का पर्यटन नगरी के रूप में विकास होने के बाद अभिभावकों के कदम भी यहां ठहरते हैं, कोटा को वह घूमते हैं. इससे होटल में प्रॉपर्टी आवागमन समेत अन्य छोटे-बड़े व्यवसाय बढ रहे हैं.

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विश्व में एकमात्र चंबल रिवर फ्रंट अपने आप में कई विरासत को समेटे हुए हैं. पर्यटन के लिए सबसे आकर्षण का केंद्र चंबल रिवर फ्रंट ही होगा. देश में अपनी तरह का यह पहला रिवरफ्रंट बन रहा है, जिसमें नवाचारों का समावेश है तो लोककला, संस्कृति, आधुनिकता के रंग, सौंदर्यकरण के साथ ही विश्व धरोहर भी इसके आंचल में समाए हुए हैं. सेवन वंडर पर्यटन की दृष्टि से कोटा में मील का पत्थर साबित होगा.

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खुश खबर है कि कोटा में गत वर्षों में देशी पर्यटकों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है, वर्ष 2018 में एक लाख 17 हजार 596 देसी पर्यटकों का आना हुआ है, वहीं वर्ष 2022 में अगस्त तक4 लाख 89 हजार 805 पर्यटक आए हैं. इससे इसी बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोटा में निरंतर देशी पर्यटकों की वृद्धि हो रही है लेकिन विदेशी पर्यटकों को यहां लाना होगा इसके लिए कई तरह के प्रचार-प्रसार और प्रशासनिक इच्छा शक्ति की आवश्यकता होगी.

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कोटा धार्मिक नगरी के रूप में भी अपनी पहचान दिलाती है, प्रधानमंत्री कोटा को शिक्षा की काशी कह चुके हैं, वहीं यहां पर प्रथम पीट बड़े मथुराधीश जी के दर्शनार्थियों की लंबी फेहरिस्त है. लाखों की संख्या में भक्त मथुरा वृंदावन की तरह ही मथुराधीश जी के दर्शन को आते. ब्रजनाथ जी, नीलकंठ महादेव, गराडिया महादेव, कर्णेश्वर महादेव, गोदावरी धाम, चंद्रेसल मठ, चट्टानेश्वर, गैपरनाथ जैसे दर्जनों विख्यात मंदिर है जिनमें श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है. धार्मिक नगरी के रूप में यहां सालभर अनेकों कार्यक्रम होते हैं जो शिक्षा को शिक्षा नगरी को पर्यटन नगरी के साथ धर्मिक नगरी के रूप में भी पहचान दिलाते हैं. कुल मिलाकर हर तरह का पर्यटक यहां आकर आनंद की अनुभूति करेगा और अपने मन में कई यादे लिए जाएगा.

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