जोधपुर: 12 दिन से अस्पताल में बेसुध पड़ी बेटी, जाते-जाते बचा गई 4 जिंदगियां, परिजनों ने किए अंग दान
वहीं एक किडनी और एक लिवर जोधपुर एम्स अस्पताल में भर्ती 2 पेशेंट को डोनेट किये गए. इस अंगदान से चार मरीजों को नई जिंदगी मिलेगी. इसके लिए बाकायदा एम्स अस्पताल से एयरपोर्ट तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया.
बाड़मेर जिले के बायतु चिमनजी की सरपंच कमला देवी (50 वर्षीय) की बेटी अनिता व उसका पुत्र पिछले 12 दिनों से जोधपुर एम्स में भर्ती है. पिता भंवरलाल गोदारा ने बताया कि 16 जुलाई को सिणदरी पंचायत समिति मंडवाला गांव स्थित ससुराल से पियर चिमनजी पिकअप में बैठकर आ रही थी. उसके साथ उसका बेटा भरत (2 वर्षीय) भी था. रास्ते में सामने से आ रहे बजरी के भरे डंपर ने पिकअप को टक्कर मार दी. इस हादसे में अनीता और भरत घायल हो गए थे.
उन्हें जोधपुर एम्स में रेफर किया गया. भरत का इलाज अभी चल रहा है. डॉक्टर ने दो दिन बाद 18 जुलाई को ही बता दिया था कि अनीता ब्रेन डेड हो चुकी है. लेकिन परिजनों ने उसके ठीक होने के लिए करीब 10 दिन तक इंतजार किया. इस दौरान अनीता के टेस्ट भी करवाये गये. इसमें 10 तरह की जांच हुई थी. इसके बावजूद अनीता में कोई इंप्रूवमेंट नहीं हुआ. इसलिए अनीता के परिजनों ने निर्णय लिया कि अंगदान किए जाने चाहिए.
अंगदान के प्रति लोग जागरूक होंगे. अनीता के पिता का कहना है कि हमने अंगदान से पहले उसके ससुराल पक्ष से इसकी सहमति ली थी. पति ठाकराराम सहित परिजनों ने निर्णय किया कि भले ही अनीता अब इस दुनिया में नहीं रही है. लेकिन उसके अंग से किसी और की दुनिया रोशन हो इसलिए अंगदान करने का निर्णय लिया गया.
जोधपुर एम्स डायरेक्टर गोवर्धन दत्त पुरी ने बताया कि जब अनीता और उसके बच्चों को यहां लाया गया था. दोनों ही बहुत सीरियस स्थिति में थे. जिसके चलते उन्हें आईसीयू में एडमिट रखा था. जांच रिपोर्ट में अनीता ब्रेन डेड थी. हमने कई टेस्ट किये थे अनिता में कोई इंप्रूवमेंट नहीं हुआ. इसके बाद परिजनों को अंगदान की प्रक्रिया के बारे में भी समझाया परिजनों की सहमति मिलने के बाद हमने ऑर्गन ट्रांसप्लांट के रीजनल सेंटर से संपर्क किया.
उन्हें की डिटेल भेजी गई. उन्होंने यह मैच किया की किस अंग को कहां कहां पर डोनेट किया जा सकता है. इसके बाद एक किडनी और लीवर जोधपुर के मरीज को लगाने का फैसला लिया गया. एक हार्ट, एक किडनी एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर भेजी गई.
उन्होंने बताया कि अनीता के अंग से चार जिंदगियां बचाई जा सकेगी. इससे सोसाइटी में मैसेज जाएगा कि यदि किसी का ब्रेन डेड हो जाता है. तो शरीर के अंग के काम करना बंद करे उससे पहले अंगदान किया जाए तो कई लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती है.