महाकाल की नगरी में नवरात्रि पर हरसिद्धि शक्तिपीठ में लगता है भक्तों का तांता, क्या है मान्यता?
हरसिद्धि मंदिर के पुजारी रामचंद्र गिरी के मुताबिक माता सती की देशभर में जहां भी अंग गिरे हैं, वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई है. धार्मिक नगरी उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के पीछे माता की कोहनी गिरी थी, यहां पर हरसिद्धि मंदिर की स्थापना हुई.
हरसिद्धि मंदिर माता सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी मानी जाती हैं. जैसा कि नाम से ही विदित है कि हर काम माता सिद्ध करती है. इसी वजह से देश भर के श्रद्धालु नवरात्रि के दौरान यहां पर शीश नवाने के लिए आते हैं.
हरसिद्धि मंदिर में माता के तीन रूपों की पूजा होती है. यहां पर माता कालिका, माता अन्नपूर्णा और हरसिद्धि विराजित हैं.
हरसिद्धि मंदिर में हजारों की संख्या में दीप मलिका हैं, जिन्हें आरती के दौरान प्रज्वलित किया जाता है. पंडित रामचंद्र गिरी के मुताबिक श्रद्धालु अपनी मनोकामना को लेकर दीप प्रज्वलित करते हैं.
इसके अलावा जिनकी मनोकामनाएं पूरी होती है वह भी यहां पर दीप प्रज्वलित करवाते हैं. हरसिद्धि मंदिर में कई वर्षों तक के लिए दीप मलिका प्रज्वलित करने की बुकिंग हो चुकी है.
भगवान महाकाल का आशीर्वाद लेने के लिए उज्जैन आने वाले श्रद्धालु माता हरसिद्धि का आशीर्वाद लेना भी कभी नहीं भूलते हैं.
इंदौर से आए प्रताप सिंह ने बताया कि वह हर साल माता हरसिद्धि का आशीर्वाद लेने के लिए 9 दिनों तक लगातार आते हैं. माता से जो भी मांगा जाता है वह मनोकामना पूरी होती है. यह माता का सिद्ध स्थान है.