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Mahakaleshwar Temple: साल भर में एक बार दोपहर में क्यों की जाती है भस्म आरती? जानिए धार्मिक वजह

विक्रम सिंह जाट   |  09 Mar 2024 10:38 AM (IST)
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भगवान महाकाल के दरबार में महाशिवरात्रि पर्व के अगले दिन दोपहर में भस्म आरती होती है. इसे लेकर अलग-अलग मान्यताएं भी हैं, मगर दोपहर में होने वाली भस्म आरती के पीछे एक धार्मिक वजह भी है. शनिवार को महाकालेश्वर मंदिर में सुबह भस्म आरती के स्थान पर मंगला आरती हुई, जिसके दर्शन अद्भुत होते हैं.

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महाकालेश्वर मंदिर के पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व महाकालेश्वर मंदिर में 9 दिनों का मनाया जाता है. शिव नवरात्रि के दौरान भगवान महाकाल को अलग-अलग स्वरूप में सजाकर उन्हें दूल्हे के रूप में पूजा जाता है. इसके बाद महाशिवरात्रि पर्व पर रात्रि ढाई बजे भस्म आरती होने के बाद सतत 44 घंटे तक महाकालेश्वर मंदिर में दर्शनों का सिलसिला जारी रहता है.

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पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान रात्रि विश्राम नहीं कर पाते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि पर्व के अगले दिन उन्हें दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और उनका सप्तधान, अलग-अलग प्रकार के और फल से सुसज्जित किया जाता है. भगवान महाकाल की महाशिवरात्रि पर्व के अगले दिन दोपहर 12 बजे भस्म आरती होती है.

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पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि इसके बाद फिर पूजा और आरती का क्रम पहले जैसा शुरू हो जाता है. वहीं पंडित राम गुरु के मुताबिक, महाशिवरात्रि के अगले दिन सुबह भस्म आरती के स्थान पर मंगला आरती होती है. इस मंगला आरती का भी विशेष महत्व वर्ष भर में एक बार ऐसा मौका आता है, जब भस्म आरती का स्थान मंगला आरती लेती है.

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महाकालेश्वर मंदिर के पंडित आशीष पुजारी बताते हैं कि महाशिवरात्रि पर्व के दौरान रात्रि भगवान पर अलग-अलग प्रकार के प्रयोग और पूजा पद्धति से उनकी आराधना की जाती है. इस दौरान भगवान को भस्म धारण, रुद्राक्ष धारण, अंतर मातृका, बहिर मातृका आदि प्रयोग किए जाते हैं.

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आशीष पुजारी बताते हैं कि इन प्रयोगों और लगातार पूजा और आराधना के कारण महाशिवरात्रि के अगले दिन सुबह भस्म आरती नहीं हो पाती है. भगवान महाकाल को इन सभी प्रयोग के बाद फूलों से सजाया जाता है.

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उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में होने वाली भस्म आरती शिव भक्तों के आकर्षण का केंद्र रहती है. भस्म आरती में शामिल होने के लिए देशभर के शिव भक्त उज्जैन पहुंचते हैं. भस्म आरती में लगभग ढाई हजार लोगों को प्रतिदिन अनुमति मिलती है. इसके अतिरिक्त चलित भस्म आरती में 10000 से ज्यादा श्रद्धालु रोज दर्शन करते हैं.

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