In Pics: रायसेन में 24 घंटे का डिजिटल उपवास, मोबाइल- इंटरनेट से दूर रहने वाला पहला ई-फास्टिंग, देखें तस्वीरें
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के बेगमगंज में इस पर्युषण पर्व पर जैन मुनियों के सामने एक अनोखे अपवास की अवधारणा रखी गई. इस उपवास की नगर में खूब चर्चा हो रही है कुछ लोग बोल रहे हैं कि अब हम भी महीने में एक बार ई उपवास करेंगे. इस उपवास को डिजिटल फास्टिंग नाम दिया है. जैन समाज के अध्यक्ष अक्षय जैन ने कहते हैं आजकल हर व्यक्ति, युवा, महिलाओं में जो लत इंटरनेट की लगी हैं उससे होने वाले नुकसान से हम सभी अनजान हैं. इसके बचाव और इस अनोखे व्रत के लिए जैन समाज के लोगों को उन्होंने शुरू में ही बता दिया कि हम सभी को इंटरनेट की आदत पड़ चुकी है. यह आदत इतनी आसानी से नहीं छूट पाएगी.
हमें अपने अपने मोबाइल को मंदिर में 24 घंटे के लिए बन्द करके छोड़ना होगा. इसमें भी ज्यादातर उन लोगों को जोड़ा गया है जो सोशल मीडिया, ऑनलाइन गेमिंग और पॉर्नोग्राफी की लत से परेशान हैं. इसके लिए जैन समाज ने यह अनोखी पहल शुरू की है. इस उपवास के दौरान आपको मोबाइल फोन, लैपटॉप ओर टीवी जैसी चीजों से दूरी बनाकर असली दुनिया का अनुभव लेना होता है. इस अनोखे उपवास का एक मात्र उद्देश्य यही है कि लोग अपने मोबाइल की लत को कैसे छोड़ सकते हैं.
व्रत धारी अक्षय जैन ने अपने दोस्तों, ऑफिस और घर पर पहले ही मेसेज कर दिया ताकि अगर अगली सुबह 10 बजे तक वह किसी से कॉन्टैक्ट न कर पाएं, तो कोई परेशान न हों. इसके बाद उन्होंने जैन मंदिर में अपना मोबाइल जमा कर उपवास शुरू किया. 24 घंटे के इस उपवास की वजह से वह इस दिन काफी फ्री रहे. श्री जैन ने बताया कि पहले एक दिन का उपवास उन्होंने बिना किसी को बताए किया ओर जब उन्हें अच्छा लगा तो समाज के युवाओं से उन्होंने यह बात की ओर जिसके बाद उनके समाज के कई लोग भी ई उपवास के लिए तैयार हो गए आज हमारा ई उपवास है.
व्रत धारी अक्षय जैन ने कहा कि 'व्रत के दौरान मुझे उसे दिन रोज अपने फोन में मिलने वाले 500 से ज्यादा नोटिफिकेशंस से छुट्टी मिल गई थी. उन नोटिफिकेशंस पर लोग मुझसे वर्चुअली मौजूद रहने की उम्मीद करते हैं. मुझे खुद के लिए लगने लगा था कि यह खतरनाक आदत पड़ गई है. सोशल मीडिया से 24 घंटे की इस दूरी ने मेरे मन, शरीर और यहां तक कि आत्मा को भी तरोताजा कर दिया.'इस अनोखे व्रत के लिए ज्यादातर जैन समाज के युवाओं और व्यापारियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जैन समाज के मुनियों के आव्हान पर सभी ने ई उपवास करने की अनोखी शुरुआत की है.