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In Pics: मध्य प्रदेश के इंंदौर में हिंगोट युद्ध में कई घायल, जानिए क्या है ये अनोखी परंपरा

फिरोज खान, इंदौर   |  27 Oct 2022 02:48 PM (IST)
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एमपी के इंदौर में परंपरा के नाम पर खेले जाने वाले एक जोखिम भरे खेल हिंगोट युद्ध में इस बार करीब 35 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. इस खेल में घर में ही बनाए जाने वाले बारूदी हिंगोट को जलाकर एक-दूसरे के ऊपर फेंका जाता है. इसे देखने के लिए इंदौर ही नहीं, बल्कि दूसरे जिले के लोग भी लिए आते हैं.

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हिंगोट युद्ध में हिंगोट नाम का एक बारूदी पटाखा जलाकर दो टीमें एक-दूसरे के ऊपर फेंक कर हार-जीत का खेल खेलते हैं. दोनों ही टीमें जीतने के लिए एक-दूसरे की जान की दुश्मन होती है. हैरानी की बात ये है कि दोनों ही टीमों के योद्धओं को ये नहीं मालूम की, वो यह लड़ाई क्यों लड़ रहे हैं. उन्हें सिर्फ इतना पता है कि ये उनकी परंपरा है और इसे निभाना है.

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इंदौर से करीब 70 किलोमीटर दूर गौतमपुरा में हिंगोट युद्ध का यह खेल दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर खेला जाता है. इस बार सूर्य ग्रहण के चलते भाई दूज के अवसर पर आयोजन हुआ है. इस युद्ध में तुर्रा और कलंगी नाम की दोनों टीमें आमने-सामने होती है. तुर्रा टीम रुणजी गांव की होती है और कलंगी गौतमपुरा की होती है. दोनों ही टीम के योद्धा इस युद्ध के लिए हिंगोट नाम का फल तोड़कर महीने भर पहले से इस खास तरह के पटाखे को बनाने की तैयारियां करते हैं.

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एसडीएम रवि वर्मा के अनुसार हिंगोट युद्ध बीते कई सालों से खेला जा रहा है. पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के चलते यह खेल नहीं हो सका था, जिसके चलते इस बार लोगों में ज्यादा उत्साह देखा गया. इस खतरनाक खेल में कई लोग लहूलुहान होकर बेहोश हो जाते हैं. यहां घायलों के उपचार के लिए डाक्टरों की टीम और सुरक्षा के नाम पर पुलिस और फायर ब्रिगेड भी तैनात की गई थी.

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इस साल प्रशासन ने हिंगोट युद्ध में कोई घायल न हो, इसके लिए पुख्ता इंतजाम पहले से ही कर लिए थे. दर्शकों के लिए 12 फीट की जाली और सीसीटीवी पूरे युद्ध स्थल पर लगाए गए थे. करीब 600 पुलिस जवान का बल लगाया गया था और घायलों के तुरंत इलाज के लिए 108 एम्बुलेंस भी लगाई गई थी.

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मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर नवीन चंद्रवंशी के अनुसार युद्ध स्थल के दोनों तरफ मेडिकल टीम लगाई गई थी. उनके पास करीब हिंगोट से घायल होने वाले 30 मरीज आए, जिसमें 02 लोगों को ज्यादा चोट लगी है. वहीं दूसरी ओर से करीब 09 घायल लोग इलाज कराने पहुंचे.

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परंपरा के नाम पर खेले जाने वाले इस खेल को बंद कराने के लिए प्रशासन ने कई बार कोशिश भी की. मगर राजनीति के चलते प्रशासन ने घुटने टेक दिए और हिंगोट युद्ध का सिलसिला जारी है.

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आपको बता दें कि हिंगोट युद्ध के दौरान कई गंभीर हादसे भी घट चुके हैं. हर साल कई लोग घायल हो जाते हैं और कई लोग अपनी आंखें भी गंवा चुके हैं. साल 2017 में भी हिंगोट खेलने दौरान एक दर्शक को गंभीर चोट लगी थी, जिसके कारण इलाज के दौरान उसकी जान चली गई थी.

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