In Pics: जबलपुर में 8 साल बाद भी तैयार नहीं हुआ पुल, अधूरा पड़ा है काम, देखें तस्वीरें
Jabalpur News Today: जबलपुर में15 गांवों को जोड़ने वाला 2 करोड़ रुपये का एक पुल सरकारी स्मारक बन गया है. 7 साल से बने पुल पर अपनी गाड़ी दौड़ाने का सपना गांव वाले पाल कर बैठे हैं. साल 2015 में जबलपुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 20 किलोमीटर दूर वर्धा घाट गांव में परियट नदी पर पुल का निर्माण शुरू हुआ था. इसे जुलाई 2016 में बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन 8 साल बाद भी लोग पुल का उपयोग करने का सपना देख रहें है.
इतना ही नहीं बल्कि साल 2018 में पुल का एक हिस्सा गिर भी गया था. इस फूल की तस्वीर देखकर आप भी चौंक जाएंगे. क्योंकि, पुल का पूरा ढांचा तो बनकर तैयार है, लेकिन उसके दोनों तरफ की एप्रोच रोड गायब है. यह पुल बनकर तो तैयार हो गया है, लेकिन इस पुल पर ना आप चढ़ सकते हैं और न उतर सकते हैं. पिछले 6 सालों से यह पुल ऐसे ही बनकर खड़ा हुआ है. जबलपुर मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर पनागर और जबलपुर क्षेत्र को जोड़ने वाली परियट नदी पर इस पुल का निर्माण हुआ है. इसके लिए 1 करोड़ 90 लाख रुपए का बजट स्वीकृत हुआ था, लेकिन अब इसकी लागत बढ़ गई है.
मटामर के पास परियट नदी पर उच्चस्तरीय पुल का निर्माण इसलिए किया जा रहा था क्योंकि बारिश में जैसे ही जलस्तर बढ़ता है, यहां बना छोटा रपटा डूब जाता है. इस पर 8 से 10 फीट तक पानी आ जाता है. ऐसे में लोग चाहकर भी शहर नहीं आ पाते थे. पुल के निर्माण को मंजूरी मिली तो ग्रामीणों के चेहरे खिल उठे लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि यही पुल उनके लिए एक बड़ा सर दर्द बन जाएगा.
स्थानीय निवासी शंकरेंदुनाथ बताते हैं कि फिलहाल ऑर्डनेंस फैक्ट्री खमरिया से वर्धा घाट को जोड़ने के लिए परियट नदी पर एक ऐसा पुल है,जो बारिश में डूब जाता है. मानसून के मौसम में कई दिनों तक वर्धा घाट सहित आसपास के 15 गांव का कनेक्शन जिला मुख्यालय से कट जाता है.
इसी वजह से स्थानीय लोगों ने विधायक के माध्यम से परियट नदी पर नए पुल की मांग की थी. वे कहते हैं लेकिन यह पुल अभी भी गांव वालों के लिए एक सपना से काम नहीं है. जबकि घटिया निर्माण कार्य के चलते एक बार पुल का हिस्सा गिर भी चुका है. पूर्व सरपंच अर्जुन यादव बताते हैं कि डिफेंस लैंड के झमेले में पुल की एप्रोच रोड नहीं बन पाई थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार को इस मसले को समय रहते सुलझा कर एप्रोच रोड बना देनी चाहिए थी. पनागर तहसील मुख्यालय जाने के लिए भी यह बड़ी उपयोगी रोड है.
साल 2015 से शुरू हुए पुल का निर्माण 2024 में भी पूरा नहीं हो पाया था, पिछले 9 सालों में पुल के निर्माण में कई तरह की रुकावटें भी आई है. साल 2018 में पुल का एक हिस्सा गिर गया था, जिसकी वजह से पुल का काम रुक गया. वहीं, पुल के एक छोर पर रक्षा विभाग की जमीन आ रही थी.
जिसकी वजह से मध्य प्रदेश सरकार रक्षा विभाग के बीच जमीन को लेकर सालों पत्राचार चलता रहा. निर्माण एजेंसी मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक लाकेश रघुवंशी ने एबीपी लाइव को बताया कि अब रक्षा विभाग से जमीन मिल गई है. कुछ महीनो में पुल की एप्रोच रोड तैयार कर ली जाएगी और जल्द ही ग्रामीणों का पुल का लाभ मिलने लगेगा.