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In Pics: मध्य प्रदेश में बारिश से धान और मटर की फसलों को भारी नुकसान, सरकार के भरोसे किसान- देखें तस्वीरें

अजय त्रिपाठी, जबलपुर   |  12 Oct 2022 05:06 PM (IST)
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मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में बेमौसम बरसात फसलों के लिए तबाही बनकर आई है. जबलपुर जिले में भी अचानक हुई अतिवृष्टि से फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है. धान एवं मटर की फसलों के बड़े रकबे पर इसका असर हुआ है. जिले के पाटन, शहपुरा, सिहोरा और पनागर ब्लाक के कई इलाकों में फसलें लगभग बर्बाद हो चुकी हैं.

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जबलपुर जिले में करीब 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में धान और 20 हजार हेक्टेयर में मटर की बुआई की गई है. तेंदूखेड़ा इलाके के किसान संतोष पटेल के मुताबिक धान की फसल तो पक कर तैयार ही होने वाली थी कि भारी बारिश से खेतों में तबाही आ गई. अतिवृष्टि की वजह से धान की फसल पानी में डूबने और जमीन पर गिर जाने जाने की वजह से बर्बाद हो गई. पिछले कई दिनों से बेमौसम बरसात ने किसानों को चिंता में डाल रखा है.

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वहीं पूरे देश में अपनी अलग पहचान रखने वाला जबलपुर का मटर भी इस बारिश की चपेट में आया है. जबलपुर के बड़े हिस्से में मटर की बहुतायत पैदावार होती है. मटर की फसल को तैयार करने के लिए किसानों के कई प्रति एकड़ में 15 हजार रुपये तक खर्च आता है. किसानों ने मटर के बीज डालकर बुवाई कर दी थी लेकिन अचानक हुई बारिश ने मटर को भी पूरी तरह नष्ट कर दिया.

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ऐसे में किसान एक बार फिर सरकार की ओर आस लगाए बैठे हैं,क्योंकि बारिश की वजह से धान और मटर के किसानों को लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है. पाटन के मटर के किसान ब्रजेश पटेल का कहना है कि नुकसान इतना बड़ा है कि भरपाई होना लगभग नामुमकिन है. वहीं जिला कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी का कहना है कि सर्वे के निर्देश दे दिए गए हैं और जल्दी सर्वे पूरा होने के बाद मुआवजे का काम भी किया जाएगा.

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इधर अनुविभागीय अधिकारी कृषि डॉ. इंद्रा त्रिपाठी ने अपनी टीम के साथ पाटन एवं शहपुरा विकासखंड के ग्रामों का भ्रमण किया.उन्होंने पिछले दिनों की तेज बारिश से पूरे क्षेत्र में फसलों में हुई तबाही को देखा. उन्होंने वर्षा प्रभावित ग्राम कुंवरपुर, नुनसर, उड़ना, बेलखेड़ा, जमखार, सुंदरादेहि,सुनाचर, मनकेडी में किसानों से इस संबंध में संवाद भी किया.

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ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी रजनीश दुबे व एनके गुप्ता ने किसानों को अधिक बारिश से खेतों में जलजमाव की जगहों पर पानी निकालने की सलाह दी. धान व मक्का की फसल परिपक्व अवस्था में आ चुकी है.अतः उन खेतों का पानी निकालकर और फसल को काटकर संरक्षित करने की सलाह दी. जलजमाव से खेतों में फफूंद की संभावना देखी जा रही है.

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किसानों को कहा गया कि फफूंद नाशक दवा का छिड़काव करें जिससे फसल को बचाया जा सके. मौसम खुलने पर मटर की बुवाई की फिर संभावना है. किसानों से कहा गया कि वह उत्तम किस्म का बीज ही उपयोग करें एवं संतुलित बीज का उपयोग करते हुए बुवाई करें.

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